संक्षेपण किसे कहते है? अच्छे संक्षेपण की विशेषताएं व गुण और उपयोग
संक्षेपण किसे कहते है?
परिभाषा – संक्षेपण का अर्थ है- ‘सार’ | अर्थात किसी दिए हुए लेख, टिप्पणी, अनुच्छेद या निबंध को संक्षिप्त करना या सार निकालना। संक्षेपण से आशय दिए हुए लेख के मुख्य विचार, तर्क, आदि को कम से कम मुख्य शब्दों द्वारा श्रोता तक पहुँचाना है।
किसी दिए गए लेख को ½ भागों में प्रस्तुत करना सारांश कहलाता है ⅓ भाग में प्रस्तुत करना संक्षेपण / संक्षेपिका / आलेखन कहलाता है ⅕ भाग में प्रस्तुत करना टिप्पणी कहलाता है|
संक्षेपण का महत्त्व | उद्देश्य | उपयोग –
कम से कम शब्दों में मुख्य-मुख्य बातें कहीं जाए
समय की बचत होती है
पाठक या श्रोता का ध्यान केवल प्रमुख बातों की ओर ही रहता है जिससे कही गई बातों का प्रभाव पड़ता है और अनावश्यक बातों की ओर ध्यान नहीं जाता |
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संक्षेपण की विशेषताएँ – अच्छे संक्षेपण की क्या विशेषता है
- दिए गए अवतरण को तब तक पढ़िए जब तक कि उसका केंद्रीय भाव स्पष्ट ना हो जाए|
- केंद्रीय भाव स्पष्ट होते ही उससे संबंधित मुख्य विचारों, वाक्यों को रेखांकित कर लीजिए|
- इन रेखांकित वाक्यों क्यों को उत्तर पुस्तिका में अंतिम पृष्ठ पर रफ कार्य के रूप में किया जाना चाहिए|
- उतारते समय ध्यान रहे कि कोई वाक्य ना छूटे ना ही कोई क्रम छूटे|
- सरल वाक्य को मिश्र वाक्य में बदलते हुए अनेक शब्दों के एक शब्द करते हुए पुनः लिखें|
- पुनः लिखते समय उदाहरण दृष्टांत मुहावरे कहावत है वह अनावश्यक शब्द हटा देना चाहिए|
- भाषा स्वयं की हो लेकिन विचार लेखक के होना चाहिए|
- अन्य पुरुषवाचक भाषा का प्रयोग करना चाहिए|
- उचित शीर्षक दीजिए शीर्षक छोटे से छोटा होना चाहिए|
- शब्द संख्या के लिए आवश्यकतानुसार कम ज्यादा करें|
- उत्तर के स्थान पर उतारने और शीर्षक के पास या अंत में शब्द संख्या कोष्टक में लिखें।
यह भी देखें: सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण (सभी परीक्षाओं के लिए)
Sankshepan ke Udaharan:-
साहित्य का आधार जीवन है इसी नियम पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है उसकी अवरिया पर मीनार व गुंबद बनते हैं लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है इसे देखने को भी जी नहीं चाहेगा जीवन परमात्मा की पुष्टि है इसीलिए अनंत है, अबोध है, अगम में है, साहित्य मनुष्य की दृष्टि है इसीलिए सुबोध है, शुभम है, और अमान्यताओं से परिचित है| जीवन परम आत्मा को अपने कार्यों का जवाब दे यह नहीं हमें मालूम नहीं।
हिन्दी व्याकरण:
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