अलंकार की परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित
Alankar in Hindi Grammar की इस पोस्ट में अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha), अलंकार के भेद( Alankar ke Bhed), उदाहरण (Example) का कांसेप्ट बहुत ही अच्छी तरह से समझाया गया है | Alankar की इस पोस्ट में शब्दालंकार (Shabd Alankar), अर्थालंकार (Artha Alankar) तथा उभयालंकार (Ubhaya Alankar) के भेदों (bhed) (यमक अलंकार, श्लेष अलंकार, उपमा अलंकार, रूपक अलंकार, प्रतीप अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार,व्यतिरेक अलंकार, विभावना अलंकार, अतिशयोक्ति अलंकार, ब्याज निंदा/स्तुति अलंकार, विरोधाभास आदि अलंकार) को उदाहरण सहित समझाया गया है|
- 1. अलंकार किसे कहते है?
- 2.अलंकार के प्रकार (Type of Alankar)
- 1.- शब्दालंकार किसे कहते है? –
- 2. अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण सहित –
- 2.अलंकार के प्रकार (Type of Alankar)
1. अलंकार किसे कहते है?
अलंकार की परिभाषा – अलंकार का शब्द का अर्थ है – अलम + कार अर्थात अलंकृत करने वाला या “अलंकरोति इति अलंकार:” अर्थात जो अलंकृत करें अर्थात शोभाकारक पदार्थ को ‘अलंकार कहते है| जिस प्रकार व्यवहारिक जीवन में सुन्दर वस्त्र, स्वर्ण, और रत्नजड़ित आभूषण शरीर को अलंकृत करते है, उसी प्रकार काव्य को अलंकृत करने वाले शब्दार्थ की रचना को काव्य में अलंकार कहते है|
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है– सजावट, श्रंगार, आभूषण आदि|
साहित्त्य में अलंकार का प्रयोग काव्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए होता है| अर्थात जिस प्रकार आभूषण पहनने से व्यक्ति का शारीरिक सौंदर्य और आकर्षण बढ़ जाता है, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों के प्रयोग से उसके सौंदर्य में वृद्धि होती है| अतः कहा गया है, “काव्यशोभाकरान धर्मालंकारान प्रचक्षते” अर्थात काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म ‘अलंकार’ कहलाते है|
हिंदी के प्रसिद्ध कवि केशव ने अलंकारों को काव्य का अनिवार्य गुण माना है उन्होंने कहा है –
“जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत|
भूषन बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त” ||
2.अलंकार के प्रकार (Type of Alankar)
अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं लेकिन एक तीसरा भेद भी होता है-
- शब्दालंकार (Shabd Alankar)
- अर्थालंकार (Artha Alankar)
- तथा एक अन्य अलंकार उभया अलंकार (Ubhaya Alankar) भी होता है|
1.- शब्दालंकार किसे कहते है? –
शब्दालंकार की परिभाषा – जहाँ काव्य में विशिष्ट शब्दों के प्रयोग के कारण सौंदर्य या चमत्कार आ जाता है, वहां शब्दालंकार होता है| अर्थात काव्य के धर्म, जो शब्दों के प्रयोग से कविता में चमत्कार उत्पन्न करते है और उसके सौंदर्य में वृद्धि करते है शब्दालंकार कहलाते है।
उदाहरण -: वह बांसुरी की धुन कानि परै, कुल-कानि हियो तजि भाजत है|
व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण की काव्य पंक्तियों में ‘कानि’ शब्द की आवृति दो बार हुई है। जिसमें पहले ‘कानि’ का अर्थ है – कान और दूसरे ‘कानि’ का अर्थ है – मर्यादा। इस प्रकार एक ही शब्द के प्रयोग से दो भिन्न-भिन्न अर्थ देकर चमत्कार या सौंदर्य आ रहा है।
उदाहरण:- “सेस महेस गनेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै”
उदाहरण:- “तुलसी मन रंजन रंजित अंजन नैन सुखजन जातक से ऊपर उद्धस्त”।
शब्दालंकार के भेद :- Type of Shabdalankar
- अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
- यमक अलंकार (Yamak Alankar)
- श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
- पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
- वक्रोक्ति अलंकार (Vakroti Alankar)
- वीप्सा अलंकार (Veepsa Alankar)
यह भी पढ़ें:- हिंदी समास (What is Samas), परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
1. अनुप्रास अलंकार किसे कहते है?
परिभाषा :- वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं| जहाँ वर्ण या वर्णों के समूह की एक से अधिक बार आवृति होने से काव्य पंक्ति में चमत्कार उत्पन्न होता है, वहां अनुप्रास अलंकार होता है। किसी वर्ण या वर्ण के समूह का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है |
उदाहरण – कल कानन कुण्डल मोर पंखा, उर पे बनमाल बिराजति है।
व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘क’ वर्ण की आवृति 3 बार तथा ‘ब’ वर्ण की आवृति 2 बार होने से काव्य-पंक्ति में चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar मुख्यतः 5 प्रकार के होते है –
- छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)
- वृत्यनुप्रास अलंकार (Vratyanupras Alanakar)
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar)
- लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
- अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)
I. छेकानुप्रास अलंकार(Chhekanupras Alankar)
परिभाषा:- वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति
उदहारण:- 1 इस करुणा कलित हृदय में
क्यों विकल रागिनी बजती है|
उदाहरण:- 2 आप जो मेरे मीत ना होते
होठों पर मेरे गीत ना होते
Note : छेकानुप्रास अलंकार(Chhekanupras Alankar) के उपर्युक्त सभी उदाहरणों में वर्ण की केवल दो बार आवृति हुयी है| अर्थात छेकानुप्रास अलंकार में वर्णो की केवल दो बार आवृति होती है|………..और पढ़ें
II. वृत्यनुप्रास अलंकार(Vratyanupras Alanakar)
परिभाषा:- एक ही वर्ण (व्यंजन) की कई बार आवृत्ति
उदा.-1 चमक गई चपला चम चम
उदा.-2 चंदन ने चमेली को चम्मच से चॉकलेट चटाई
Note : वृत्यनुप्रास अलंकार(Vratyanupras Alankar) के उपर्युक्त लिखे सभी उदाहरणों में वर्णों की बार बार आवृत्ति हुयी है अर्थात वृत्यनुप्रास अलंकार में एक ही वर्ण की कई बार आवृत्ति होती है|………..और पढ़ें
III. श्रुत्यानुप्रास अलंकार(Shrutyanupras Alankar)
परिभाषा:- एक वर्ग के व्यंजन (य र ल व् )
उदाहरण – 1 ता दिन दान दीन्ह धन धरनी|
Example – 2 तुलसीदास सीदत निशदिन देखत तुम्हारी निठुराई
उदा.- 3 ठोकर डमरू टिमकी ढोल
उदा.- 4 दीदी तेरा देवर दीवाना
Note : श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar) के उपर्युक्त लिखे Example में एक ही वर्ग व्यजन के कई वर्ण एक साथ आये है अर्थात श्रुत्यानुप्रास Alankar में एक ही वर्ग के कई व्यंजन का एक साथ प्रयोग होता है|
IV. लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
परिभाषा:- शब्द रिपीट लगभग 70% (दूसरी बार वाक्य का अर्थ बदल जायेगा)
उदा.- 1 मांगी नाव, न केवट आना
मांगी नाव न, केवट आना|
और पढ़ें : लाटानुप्रास अलंकार की परिभाषा और कई उदाहरण तथा व्याख्या
V. अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)
परिभाषा:- अंतिम वाक्य के शब्द में तुक होगी|
उदा.- 1 तुझे देखा तो जाना सनम
प्यार होता है दीवाना सनम
उदाहरण – 2 एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब
उदा.- 3 जिसने हम सब को बनाया वात की बात में कर दिखाया
Example – 4 जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
उदा.- 5 लगा दी किसने आकर आग
कहां था तू संशय का नाग
उदा.- 6 नाथ शंभू धनु भंजन हारा
हुआ है कोई एक दास तुम्हारा|
2. यमक अलंकार किसे कहते है?
यमक अलंकार की परिभाषा – जिस अलंकार में एक ही शब्द की आवृत्ति बार-बार हो और उसके अर्थ हर बार भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है|
उदाहरण – कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय|
बा खाय बौरात नर, या पाए बौराय||
व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘कनक‘ शब्द दो बार आया है दोनों बार शब्द में स्वर तथा व्यंजन समान है परन्तु अर्थ भिन्न है| एक ‘कनक’ का अर्थ ‘सोना’ एवं दूसरे कनक शब्द का अर्थ ‘धतूरा’ है| एक कनक (सोना) को प्राप्त करके नर ख़ुशी से बौराय जाता है जबकि दूसरे कनक (धतूरा) को खाकर आदमी पागल हो जाता है अर्थात दोनों ही स्थिति में मनुष्य बौराय जाता है| इस प्रकार जिस अलंकार में एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न अर्थ निकले तब उसे यमक अलंकार कहते है|
Read More: यमक अलंकार के अन्य उदाहरण यहाँ से पढ़ सकते है।
3. श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
4. पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
परिभाषा – “जहाँ एक ही शब्द की आवृति दो या अधिक बार हो और प्रत्येक बार उसका अर्थ वही हो और ऐसा होने से अर्थ में रुचि बढ़ जाये, वहां पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है.”
उदाहरण – 1. “ठौर ठौर विहार करती सुन्दर सुर-नारियाँ “
व्याख्या – उपर्युक्त पुनरुक्ति अलंकार उदाहरण में ‘ठौर’ शब्द दो बार आया है और दोनों बार एक ही अर्थ निकलता है.
उदाहरण – 2. “शांत सरोवर का उर, किस इच्छा से लहरा कर हो उठता चंचल-चंचल”
व्याख्या – इस उदाहरण ‘चंचल‘ शब्द की दो बार आवृति हुई है दोनों बार अर्थ वही है.
5. वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
वक्रोक्ति अलंकार परिभाषा: जब किसी बात पर वक्ता और श्रोता के बीच में किसी उक्ति के सम्बन्ध में भिन्नता का आभास हो अर्थात वक्ता कोई और बात कहता है और श्रोता उसका मतलब किसी अन्य अर्थ में निकल लेता है तब वहाँ, वक्रोक्ति अलंकार होता है।
वक्रोक्ति अलंकार के उदहारण –
Udaharan-1. कौन द्वार पर राधे में हरि।
क्या वानर का काम यहाँ।।
व्याख्या :- उपर्युक्त उदाहरण में एक बार कृष्ण राधा से मिलने जाते है जब वो दरवाजे पर पहुचंते है तो राधा बोलती है कौन तो कृष्ण कहते है ‘मैं हरि’ राधा इसका अर्थ ‘वानर’ निकाल लेती है और कहती है वानर का यहाँ पर क्या काम। इस प्रकार जब कहने वाला कुछ और कहता है और सुनने वाला उसका कुछ और अर्थ निकाल लेता है तब वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है. अन्य उदाहरण देखते है –
Udaharan-2. को तुम हो इत आए कहां
घनश्याम हो तो कितहूँ और बरसों।
6. वीप्सा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
परिभाषा – -जहाँ किसी आकस्मिक भाव (घृणा, आदर, हर्ष, शोक, विस्मय आदि)) को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने के लिए एक शब्द को अनेक बार दोहराया जाता है, वहां वीप्सा अलंकार होता है।
वीप्सा अलंकार के उदाहरण –
अमर्त्य वीर पुत्र हो,
दृढ प्रतिज्ञा सोच लो,
प्रशस्त पथ है,
बढ़े चलो बढ़े चलो |
व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘बढ़े चलो बढ़े चलो’ शब्द की आवृति हुयी है।
उदाहरण – 2. हा! हा! इन्हे रोकन को टोकन लगावौ तुम विसद-विवेक-ज्ञान गौरव दुलारे है.
व्याख्या – हा शब्द की आवृति 2 बार हुई है जिसमें गोपियों की विरह-दशा की व्यंजना हुई है.
उदाहरण – 3. ‘राम! राम! यह मौत बहुत बुरी हुई |’
2. अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण सहित –
अर्थालंकार की परिभाषा – काव्य में जहाँ शब्दों के प्रयोग के कारण सौंदर्य या चमत्कार नहीं बल्कि अर्थ की विशिष्टता के कारण सौंदर्य या चमत्कार आया हो, वहां अर्थालंकार होता है|
उदाहरण – नील कमल-सी मुख-प्रभा, सरस सुधा-से बोल|
अर्थालंकार के प्रकार (भेद) –
- उपमा अलंकार
- प्रतीप अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- व्यतिरेक अलंकार
- विभावना अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- उल्लेख अलंकार
- संदेह अलंकार
- भ्रांतिमान अलंकार
- अन्योक्ति अलंकार
- अनंवय अलंकार
- दृष्टांत अलंकार
- अपँहुति अलंकार
- विनोक्ति अलंकार
- व्याज स्तुति अलंकार
- ब्याज निंदा अलंकार
- विरोधाभास अलंकार
- अत्युक्ति अलंकार
- समासोक्ति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
हिंदी व्याकरण के अलंकार के इस लेख में अलंकार की परिभाषा सहित अलंकार के भेद, शब्दालंकार तथा अनुप्रास अलंकार के सभी भागों को उदहारण सहित अच्छी तरह से समझाया गया है| अगर हिंदी व्याकरण अलंकार के इस लेख को एक बार में पढ़कर कुछ कम समझ आया है तो एक बार अलंकार की इस post को फिर से जरूर पढ़ें मुझे विशवास है कि आपको अलंकार (अनुप्रास अलंकार का भाग सहित) का फुल कांसेप्ट हमेशा के लिए समझ आ जायेगा और आप एग्जाम में उदाहरण देखकर आप सही उत्तर पर टिक कर पाओगे।
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हिंदी व्याकरण :-
- भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा, प्रमुख उदाहरण | Bhrantiman Alankar
भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा, प्रमुख उदाहरण
भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते है?
Bhrantiman Alankar ki Paribhasha – जब उपमेय को भ्रमवश उपमान समझ लिया जाता है अर्थात उपमेय में उपमान का धोखा हो जाता है, तब वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।
भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण
उदाहरण – मुन्ना तब मम्मी के सिर पर देख-देख दो छोटी,
भाग उठा भय मानकर सिर पर साँपिन लोटी।
Udaharan –
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Virodhabhas Alankar ki Paribhasha – जहां पर संयोग में विरोध दिखाया जाए अर्थात जहां विरोध न होने पर भी विरोध दिखाया जाता है, वहां पर विरोधाभास अलंकार होता है।
विरोधाभास अलंकार के उदाहरण –
उदाहरण – तंत्रीनाद, कवित्त रस, सरस राग, रति रंग
अनबूड़े बूड़े तिरे जे बूड़े सब अंग।।
Udaharan – मीठी लगे अँखियान लुनाई।
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उदाहरण – मुख मुख ही के समान सुंदर है।
Explaination – उपर्युक्त पंक्तियों में ‘मुख’ उपमेय है और ‘मुख’ ही को उपमान बना दिया। अर्थात ‘मुख’ को ‘मुख’ से ही उपमा दी गयी है।
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दृष्टांत अलंकार की परिभाषा: पहले कही हुई किसी बात को स्पष्ट करने के लिए उससे मिलती-जुलती दूसरी बात कही जाए, तब ‘दृष्टांत अलंकार’ होता है।
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उदाहरण – जपत एक हरिनाम के पातक कोटि बिलाय।
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अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा: अतिशयोक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अतिशय+उक्ति | ‘अतिशय’ मतलब बहुत अधिक और ‘उक्ति‘ मतलब कह दिया अर्थात जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है। अथवा
काव्य में जब किसी वस्तु, व्यक्ति, या रूप सौंदर्य आदि के गुणों का वर्णन लोकसीमा से बहुत बढ़ा- चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाए, तब वहां पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है|
इस बात को इस उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता “देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सों पग धोए।”
अब बात स्पष्ट है कि पानी और बर्तन (परात) को छुए बिना कोई भी किसी के पैर नहीं धो सकता है क्योकि मनुष्य की आँखों से इतना जल नहीं निकल सकता। ऐसा करना बिलकुल असंभव है…….लेकिन सुदामा और कृष्ण की बहुत ही गहरी मित्रता और प्रेम को व्यक्त करने के लिए ऐसा कहा गया।
जब ऐसी कोई बात कही जाती कि हमें ऐसा लगता कि यह बात तो संभव ही नहीं है, और फिर भी ऐसा कहा है इसका आशय यह हुआ की बात कुछ ज्यादा ही बढ़ाचढ़ाकर कही गयी है, तब ऐसी बातों या कविताओं या उदाहरणों में अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
निम्नलिखित उदाहरणों को पढ़ो और निष्कर्ष निकालो, जो बात कही है क्या वो संभव है –
अतिश्योक्ति अलंकार के 20 उदाहरण –
atishyokti alankar example in hindi –
- हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि, लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
- वह शेर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ, धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।।
- देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन जा रही है।.
- संदेसनि मधुवन-कूप भरे।
- लहरें ब्योम चूमती उठती।
- परवल पाक फाट हिय गोहूँ।
- जोजन भर तेहि बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा||
- मै तो राम विरह की मारी, मोरी मुंदरी हो गयी कंगना |
- बालों को खोलकर मत चला करो, दिन में रास्ता भूल जायेगा सूरज।।
- बांधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से? मणि वाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरो से?
- युद्ध में अर्जुन ने तीरों की ऐसी बौछार की, कि सूरज छुप गया और धरती पे अँधेरा छा गया |
- एक दिन मैंने ऐसी पतंग उड़ाई ,ऐसी ऊंची पतंग उड़ाई ,उड़ते-उड़ते वह देव लोक में पहुंच गई !
- कल मेरे पड़ोस वाली गली में २ परिवार में लड़ाई हो गयी और वहां खून कि नदिया बह गयीं |
- आगे नदिया पड़ी अपार घोड़ा कैसे उतरे उस पार, राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।
- भूप सहस दस एकहिं बारा। लगे उठावन टरत न टारा।।
- रावण में सौ हाथियों का बल था |
- राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था।
- कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान।
- उसकी चीख से मेरे कान फट गए |
- चंचला स्नान कर आये, चन्द्रिका पर्व में जैसे, उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।।
Atishyokti Alankar ke 10 Udaharan –
उदाहरण – संधानेउ प्रभु बिसिख कराला, उठी उदधि उर अंतर ज्वाला ||
Example: कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन तें प्राण।
उदाहरण – पत्रा ही तिथि पाइए, वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पून्यौई रहत, आनन ओप उजास।।उदाहरण – मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार.दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार।
Udaharan – चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल,
एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल।।उदाहरण – जिस वीरता से शत्रुओं का सामना उसने किया।
असमर्थ हो उसके कथन में मौन वाणी ने लियाउदाहरण – धनुष उठाया ज्यों ही उसने, और चढ़ाया उस पर बाण |
धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा, विकल हुए जीवों के प्राण।उदाहरण – मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेती करौंट। पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट।
उदाहरण – दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।।
Udaharan – व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर।।Udaharan – बाण नहीं पहुंचे शरीर तक, शत्रु गिरे पहले ही भू पर।
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व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा: जब छोटे को बड़े से श्रेष्ठ बताया जाता है और उसका कारण भी दिया जाता है अर्थात जब उपमेय को उपमान की अपेक्षा बढ़कर बताया जाता है, तब वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण – साधु ऊँचे शैल सम, प्रकृति सुकुमार।
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विभावना अलंकार की परिभाषा, उदाहरण व्याख्या सहित
विभावना अलंकार किसे कहते है?
विभावना अलंकार की परिभाषा:- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है। कारण के अभाव में कार्य का होना बताया जाता है।
जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ विभावना अलंकार होता है।
विभावना अलंकार के उदाहरण (udaharan)
उदाहरण – बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम करै विधि नाना।।
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अपहुँति अलंकार की परिभाषा
परिभाषा – जहाँ एक बात को निषेध बताकर दूसरी बात कही जाती है, तब उसे ‘अपँहुति अलंकार’ कहते है। या जहाँ उपमेय का निषेध करके उपमान का आरोप किया जाता है, वहाँ अपहुँति होता है।
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Apanhuti Alankar ke Udaharan –
उदाहरण – यह मुख नही है, चंद्रमा है।
उदाहरण – है गरजते घन नहीं बजते नगाड़े।
विध्धुलता चमकी न कृपाण जाल से।
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विनोक्ति अलंकार किसे कहते है? परिभाषा
विनोक्ति अलंकार की परिभाषा – जहां कोई वस्तु किसी अन्य वस्तु की वजह से शोभनीय या अशोभनीय बताई जाए, वहां विनोक्ति अलंकार होता है। अर्थात इसमें बिना या रहित शब्द आते हैं।
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Vinokti Alankar ke Udaharan –
उदाहरण – बिना पुत्र सूना सदन, गत गुन सूनी देह।
वित्त बिना सब शून्य है, प्रियतम बिना सनेह।।
EXPLANATION – उपर्युक्त उदाहरण में पुत्र बिना घर को सूना, गुण के बिना शरीर को, धन के बिना सबकुछ तथा प्रियतम के स्नेह की अशोभता बताई गई है।
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वृत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा, उदाहरण – Vratyanupras Alanakar
Vratyanupras Alankar की Paribhasha:-
परिभाषा:– जिस अलंकार में एक ही (वर्ण) व्यंजन की अनेक बार आवृत्ति होती है उसे Vratyanupras Alankar कहते है|
वृत्यानुप्रास अलंकार अनुप्रास अलंकार का भेद है| अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है|
वृत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण
उदाहरण.-1. मुद्दत महीपत मंदिर आए
सेवक सचिव सुमंत बुलाए
Explain :- जैसा की आपने इस Vratyanupras Alankar के Example के माध्यम से देखा की ‘म‘ तथा ‘स‘ वर्ण व्यंजन एक से अनेक बार अर्थात 3 बार आवृत्ति हुई है|
उदा.-2. घनन घनन घिर घिर आए बदरा
घनघोर कारी छाई घटा
Explain :- वृत्यनुप्रास अलंकार के इस उदाहरण में ‘घ‘ तथा ‘न‘ वर्ण व्यंजन की अनेक बार आवृत्ति हुई है|
उदा.-3 सेस महेस गनेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।
Explain :- ‘श’ वर्ण व्यंजन की 3-4 बार आवृत्ति |
उदा.- 4. चांदनी चमेली चारुचंद्र सुंदर है|
Explain :- इस वृत्यानुप्रास अलंकार के इस Example में ‘च’ वर्ण व्यंजन की 4 बार आवृत्ति |
उदा.-5. खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह
उदा.-6. भव्य भागों में भयानक भावना भरना नहीं
उदा.-7. मेरी मीत में जो गीत ना होते
उदा.-8. कलावती कलावती कलिंदजा
उदा.-9. चरन चोट चटकत चकोट
अरि उपसिर वज्जत|
उदा.-10. सत्य सनेह सील सुख सागर
उदा.-11. निपट नीरव नन्द-निकेत में
उदा.-12. ध्वनिमयी करके गिरि-कंदरा
कलित-कानन-केली-निकुंज को|
उदा.-13. सो सुख सुजस सुलभ मोंहि स्वामी|
उदा.-14. सपने सुनहले मन भाये।
छेकानुप्रास और वृत्यनुप्रास अलंकार में अंतर –
अनुप्रास अलंकार के भेद (Type)
अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है| परिभाषा एवं उदाहरण
- छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)
- वृत्यनुप्रास अलंकार (Vratyanupras Alanakar)
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar)
- लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
- अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)
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छेकानुप्रास अलंकार – Chhekanupras Alankar
छेकानुप्रास अलंकार किसे कहते है?
परिभाषा :- जिस अलंकार में एक ही वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति होती है, अर्थात जब एक वर्ण या अनेक वर्ण की आवृति केवल दो बार होती है तो , उसे छेकानुप्रास अलंकार कहते है|
Chhekanupras Alankar अनुप्रास अलंकार का भेद है| अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है|
छेकानुप्रास अलंकार के उदाहरण
उदाहरण :- 1 अति आनंद मग्न महतारी
कानून कठिन भयंकर भारी
घोर घाम हिम बाहर सुखारी
Explain :- Chhekanupras अलंकार के इस उदहारण में वर्ण ‘अ’, ‘क’ तथा ‘घ’ की केवल दो-दो बार आवृत्ति हुई है| अर्थात इस अलंकार को पहचानने के लिए केवल वर्ण की आवृत्ति को गिनना है जिस अलंकार में एक वर्ण की केवल 2 बार आवृत्ति हो वो छेकानुप्रास अलंकार होता है|
उदाहरण:- 2 वर दंत की पंगति कुंद कली
Explain :- ‘क’ वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति हुई है|
उदाहरण:- 3 अमिय भूरिमय चूरन चारु
समन सकल भवरुज परिवारु|
Explain :- केवल दो-दो बार आवृत्ति ‘च’ तथा ‘स’ वर्ण की |
उदाहरण:- 4 प्रिया प्रानसुत सर्वस मोरे |
उदाहरण:- 5 बचन बिनीत मधुर रघुवर के |
Udaharan:- 6 हो जाता मन मुक्त भक्ति भावों से मेरा|
उदाहरण:- 7 विविध सरोज सरोवर फूले|
उदाहरण:- 8 रसवती रसना करके कहीं
कथित थी कथनीय गुणावली|
उदाहरण:- 9 कुसुमत कुंजन में भ्रमर भरे अजब अनुरागी
उदाहरण:- 10 रिझि–रिझी रहसि रहसि, हंसी हंसी उठे
सांसे भरी आंसू भरी, कहत-कहत दई-दई |
उदाहरण.– 11 ‘हे उत्तरा के धन, रहो तुम उत्तरा के पास
अनुप्रास अलंकार के भेद
अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है| परिभाषा एवं उदाहरण
- छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)
- वृत्यनुप्रास अलंकार (Vratyanupras Alanakar)
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar)
- लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
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Utpreksha Alankar की परिभाषा प्रमुख उदाहरण सहित
उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते है?
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा – जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
इसके लक्षण है- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।
पहचान – मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, इव, जनु, जानहु, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण
सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात।
मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।।चमचमात चंचल नयन, बिच घूँघट पट छीन।
मनहु सुरसरिता विचल, जल उछरत जुग मीन।।फूले कास सकल महि छाई।
जनु रसा रितु प्रकट बुढ़ाई।।ले चला मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण-झनक।
चित्रकूट जनु अचल अहेरी।
चित्रकूट जनु अचल अहेरी।
व्याख्या – यहाँ चित्रकूट में अहेरी की संभावना व्यक्त की गई है।उस काल मारे क्रोध के, तनु काँपने उसका लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।“लट लटकनि मनु मत्त,
मधुपगन माधुरी मधुर पिये|”“अरुन भये कोमल चरन,
भुवि चलबे ते मानु”|कहती हुई यो उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानों, हो गए पंकज नए।.“तव पद समता को कमल,
जन सेक्त इक पाँय|”मानो माई धनधन अंतर दामिनि।
मनु द्रग फारि अनेक जमुन निरखत ब्रज शोभा।
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Roopak Alankar की परिभाषा प्रमुख उदाहरण सहित
रूपक अलंकार की परिभाषा
परिभाषा – जहाँ उपमेय और उपमान में असमानता दिखाई गई हो अर्थात छोटे को बड़ा बताया गया हो, वहाँ Roopak Alankar होता है। इसके दो भेद है – (1) अभेद रूपक, (2) तद्रूप रूपक
रूपक अलंकार के उदाहरण
उदाहरण – 1 मुख चंद्रमा है।
Explaination –
उदाहरण -2 चरण-कमल बंदौ हरि राई ।
उदाहरण -3 बीती विभावरी जाग री।
अम्बर-पनघट में डुबो रही तरा घट ऊषा-नागरी।।
उदाहरण -4 मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों ।
उदाहरण -5 मुख रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया।
उदाहरण -4 ये तेरा शिशु जग है उदास
रूपक अलंकार के प्रकार –
1. अभेद रूपक
2. तद्रूप रूपक
1. अभेद रुपक –
2. तद्रूप अलंकार –
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- अनुप्रास अलंकार किसे कहते है? परिभाषा, प्रकार, 20 उदाहरण
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
अनुप्रास अलंकार किसे कहते है?
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा: वर्णों की आवृत्ति बार-बार अर्थात जहाँ वर्णो की पुनरावृत्ति से चमत्कार उत्पन्न होता है या “जहाँ व्यंजनों की आवृत्ति बार-बार होती है, तब वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है|” किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है|
अर्थात “जिस कविता में ‘वर्ण’ या ‘वर्णों का समूह’ बार बार आते है, उसे अनुप्रास अलंकार है.”
अर्थात “वर्णनीय रस की अनुकूलता के लिए वर्णों का बार-बार आना या पास-पास प्रयोग होना, अनुप्रास अलंकार कहलाता है.
उदाहरण – 1. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारिन’
उपर्युक्त अनुप्रास अलंकार के उदाहरण में ‘क’ और ‘ल’ वर्ण की आवृति हुई है. अर्थात जिस रचना में व्यंजन वर्णों की आवृति एक या दो से अधिक बार होती है, वहां Anupras Alankar होता है.
उदाहरण – 2. संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो। ( ‘स’ और ‘ध’ वर्ण की आवृति)
आपको यह परिभाषा निम्न लिखित अन्य 20 उदाहरण पढ़कर एकदम स्पष्ट हो जाएगी-
अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है-
Anupras Alankar ke bhed (अनुप्रास अलंकार के भेद)
- छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)
- वृत्यनुप्रास अलंकार (Vratyanupras Alanakar)
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar)
- लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
- अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)
अनुप्रास अलंकार किसे कहते है? भेद तथा उदाहरण यह भी पढ़ें:
अनुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण –
अनुप्रास अलंकार के 15 उदाहरण व्याख्या 1. मुदित महिपत मंदिर आये। सेवक सचिव सुमंत बुलाये।। इस उदाहरण में ‘म‘ वर्ण की और ‘स’ वर्ण की तीन-तीन बार आवृत्ति हुई है। अतः जहाँ वर्णो की आवृति बार-बार होती है तब अनुप्रास अलंकार होता है। 2. जो सुख सुजस सुलभ मोहिं स्वामी। इस उदाहरण में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति 3 बार हुई है। अतः उपर्युक्त उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है। 3. तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए । ‘त’ वर्ण की आवृति 4. चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में इस उदाहरण की पहली पंक्ति में ‘च’ की कई बार आवृति हुई है. तथा दूसरी पंक्ति में ‘ल’ वर्ण की आवृति हुई है. 5. ‘भगवान! भागे दुःख, जनता देश की फूले-फले ‘भ’ ‘ग’ ‘फ’ और ‘ल’ वर्ण दो-दो बार आये है. 6. कल कानन कुण्डल मोर पंखा।
उर में वनमाला विराजति है ||‘क’ और ‘व’ वर्ण की आवृति हुई है. 7. ‘विमल वाणी ने वीणा ली’ ‘व’ वर्ण की आवृति 8. चरर मरर खुल गए अरर । ‘र’ वर्ण की आवृति 9. छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की। ‘ट’ वर्ण की आवृति 10. कहि रहीम संपत्ति सगे, बनत बहुत बहु रीत.
विपत्ति कसौटी जै कसै, ते ही सांचे मीत||‘ब’ ‘स’ और ‘क‘ वर्ण की आवृति 11. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि।
कहत खलन सन राम हृदय गुनि।।12. कलहंस कलानिधि खंजन कंज,
कछू दिन केशव देखि जिये .13. जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप। 14. दमके दंतिया दुत दामन ज्यौं
किलकें कलकल बाल विनोद करें‘द’ ‘क’ और ‘ल’ वर्ण की आवृति आपने उपर्युक्त लिखे उदाहरणों को अगर ध्यान से पढ़ा होगा तो आपने पाया होगा कि प्रत्येक उदाहरण में किसी न किसी वर्ण की पुनरावृत्ति कई बार हुई है। इस प्रकार हम कह सकते है की जब कोई वर्ण बार बार आता है तब वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
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