अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण | Anyokti Alankar

अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण | Anyokti Alankar

अन्योक्ति अलंकार किसे कहते है?

परिभाषा – जब किसी अप्रस्तुत माध्यम से किसी प्रस्तुत (सच्चाई) का बोध कराया जाता है, तब वहाँ ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है।

अन्योक्ति – अन्य + उक्ति { अन्य = अन्य (दुसरे) के लिए।, उक्ति = कथन। अर्थात अन्य (दुसरे) के लिए कथन।

अन्योक्ति का अर्थ – जिसे कुछ कहना हो उसे स्पष्ट शब्दों में ना कहकर अन्य को संबोधित करके इस प्रकार से कहा जाए कि उसे वास्तविक बात समझ में आ जाए।

परिभाषा – 2.  प्रस्तुत (उपमेय) अर्थ को अप्रस्तुत (उपमान) के माध्यम से सूचित किया जाए, वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।

जैसे - स्वारथु सुकृत न, श्रमु बृथा देहि बिहंग विचारि। बाज पराए पानि परि तू पच्छीनु न मारि।।

यहाँ अप्रस्तुत अर्थ है - जयसिंह, औरंगजेब 
प्रस्तुत अर्थ है - बाज, शिकारी 

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अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण

1. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहीं बिकास यहि काल ।
    अली कली ही तें बँध्यो, आगे कौन हवाल।।

व्याख्या - इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी ने भौंरे पर निशाना साधकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का आभास कराया। महाराज जयसिंह अपनी छोटी रानी के प्रेम में इतने व्यस्त हो गए कि उन्होंने अपने राजकाज का ध्यान रखना तक छोड़ दिया।
2. माली आवत देखकर कलियन करि पुकार। 
     फूले फूले चुनि लिए, काल हमारि बार।।

यहाँ अप्रस्तुत अर्थ है - माली, कलियाँ। 
यहाँ प्रस्तुत अर्थ है - यमराज, युवा। 
3. अब अलि रही गुलाब में, अपत कटीली डार।

             

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