छेकानुप्रास Chhekanupras Alankar की परिभाषा एवं 10 उदाहरण

छेकानुप्रास अलंकार – Chhekanupras Alankar

छेकानुप्रास अलंकार किसे कहते है?

परिभाषा :- जिस अलंकार में एक ही वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति होती है, अर्थात जब एक वर्ण या अनेक वर्ण की आवृति केवल दो बार होती है तो , उसे छेकानुप्रास अलंकार कहते है|

Chhekanupras Alankar अनुप्रास अलंकार का ही एक प्रकार है। अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है|

छेकानुप्रास अलंकार के 10 उदाहरण

उदाहरण :- 1 ति नंद मग्न महतारी

कानून ठिन भयंकर भारी

             घोघाम हिम बाहर सुखारी 

Explain :- Chhekanupras अलंकार के इस उदहारण में वर्ण ‘अ’, ‘क’ तथा ‘घ’ की केवल दो-दो बार आवृत्ति हुई है| अर्थात इस अलंकार को पहचानने के लिए केवल वर्ण की आवृत्ति को गिनना है जिस अलंकार में एक वर्ण की केवल 2 बार आवृत्ति हो वो छेकानुप्रास अलंकार होता है|

उदाहरण:- 2   वर दंत की पंगति कुंली 

Explain :- ‘क’ वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति हुई है|

उदाहरण:- 3 अमिय भूरिमय चूरन चारु 

              मन कल भवरुज परिवारु| 

Explain :- केवल दो-दो बार आवृत्ति ‘च’ तथा ‘स’ वर्ण की |

उदाहरण:- 4   प्रिया प्रानसुत सर्वस मोरे |

उदाहरण:- 5 चन बिनीत मधुर रघुवर के | 

Udaharan:- 6 हो जाता मुक्त क्ति भावों से मेरा| 

उदाहरण:- 7 विविध रोज रोवर फूले| 

उदाहरण:- 8 सवती सना रके हीं

               कथित थी कथनीय गुणावली| 

उदाहरण:- 9 कुसुमत कुंजन में भ्रमर भरे अजब अनुरागी

उदाहरण:- 10   रिझिरिझी रहसि रहसि, हंसी हंसी उठे 

                सांसे भरी आंसू भरी, कहत-कहत दई-दई |

उदाहरण.11 ‘हे उत्तरा के धन, रहो तुम उत्तरा के पास

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