जिला भिण्ड – म.प्र. की जिलेबार (MP District Wise GK in Hindi) सामान्य ज्ञान
जिले का नाम | जिला भिण्ड |
गठन | 1956 |
तहसील | भिंड, अटेर, महेगांव, लहार, रोन, मिहोना, गोहद, गौरमी, मौ |
पड़ोसी जिलों के साथ सीमा | दतिया, मुरैना |
राज्यों के साथ सीमा | राजस्थान, उत्तरप्रदेश |
जनसँख्या (2011) | 17,03005 |
साक्षरता दर (2011) | 75.26% |
भौगोलिक स्थिति | अक्षांतर स्थिति – 25o55′ से 26o48′ देशांतर स्थिति – 78o12′ से 79o05′ |
मध्यप्रदेश का जिला भिण्ड, चम्बल संभाग के अंतर्गत आता है। इसका जिला मुख्यालय भिंड में है। चम्बल संभाग में 3 जिले आते है –
भिंड जिले का नामकरण विभिन्नडक ऋषि के नाम पर किया गया
- मुरैना (District Morena)
- भिंड (District Bhind)
- श्योपुर (District Shyopur)
भिंड जिले का इतिहास – History of Bhind District
भिंड जिला Bhind District विभंडक ऋषि की कर्म भूमि तंग घाटिया, घने जंगल के लिये प्रसिद्ध भूमि जिसके सैनिक भारत माता की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाले वीर सपूत निवासियों का जिला चम्बल संभाग में आता है। यह कुंआरी और पहुज नदी के किनारे वसा शहर है। यह जिला डाकुओं के लिये प्रसिद्ध है। 1902 में भिंड नगरपालिका का गठन हुआ था। भदोरिया राजाओं के नाम पर पहले भिंड जिले को भदावर कहा जाता था।
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तहसील – भिंड (MP Districtwise GK in Hindi)
भिंड जिले में 9 तहसीलें भिंड, अटेर, महेगांव, लहार, रोन, मिहोना, गोहद, गौरमी, मौ है। मध्य प्रदेश की जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटी तहसील भिंड जिले की रोन तहसील है।
भौगोलिक स्थिति – भिंड जिले की भौगोलिक स्थिति
भिंड जिले का क्षेत्रफल 4459 वर्ग किलोमीटर है। जिले की भौगोलिक स्थिति अक्षांतर स्थिति – 25o55′ से 26o48′ तथा देशांतर स्थिति – 78o12′ से 79o05′ पर स्थित है।
भिंड जिले की सीमा उत्तर में राजस्थान, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण में दतिया तथा पश्चिम में मुरैना जिले के साथ लगती है। जिले में से राष्ट्रीय राजमार्ग NH – 92, 552 होकर गुजरते है।
जिले की औसत वार्षिक बर्षा 668.3 मिमी है। भिंड जिला सामान्य तौर पर सूखा जिला है।
कृषि एवं मिट्टियाँ – भिंड जिले की कृषि एवं मिट्टियाँ
भिंड जिले में कछारी तथा जलोढ़ दोनों प्रकार की मिट्टी पायी जाती है।
सरसों एवं गेहूं की फसल इस क्षेत्र के किसानो की प्रमुख फसलें है।
भिंड जिले की प्रमुख नदियाँ
- चम्बल नदी
- सिंध नदी
- कुंवारी नदी
- वैशाली नदी
- पहुज नदी
सिंचाई एवं परियोजनाएं – जिला भिंड
भिंड जिले में सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत नदियां है। यहाँ की भूमि उपजाऊ है। भूमि की सिंचाई चम्बल तथा सिंध एवं उनकी सहायक नदियों कुंआरी, वैशाली और पहुज से होती है।
मध्यप्रदेश की पहली परियोजना ‘चम्बल परियोजना’ से मुरैना जिले के साथ भिंड जिला भी लाभान्वित है।
वन एवं वन्यजीव – District Bhind
भिंड जिले में वन रिपोर्ट 2017 के अनुसार आरक्षित वन क्षेत्र 108 वर्ग किमी. है। यहाँ उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन (कटीले वन) क्षेत्र मुख्य रूप से पाए जाते है।
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राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण – भिंड
राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण : भिंड शहर से 22 किमी. दूर चम्बल नदी पर राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण स्थित है जो भारतीय घड़ियालों, मगरमछ, गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए प्रसिध्द है। इस अभ्यारण की स्थापना 1978 में की गयी। राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण का क्षेत्रफल 435 वर्ग किमी. है। इस अभ्यारण की सीमा तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के साथ लगती है।
खनिज सम्पदा एवं उद्योग – भिंड
खनिज सम्पदा के क्षेत्र में भिंड जिला समृध्द नहीं है। यहाँ केवल चुना पत्थर पाया जाता है।
यहाँ पर सीमेंट कारखाना, मालनपुर औधोगिक क्षेत्र है।
भिंड जिले में जनजाति
म. प्र. की पांचवी सबसे बड़ी सहरिया जनजाति निवास करती है। सहरिया जनजाति मुरैना, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी और गुना क्षेत्र में निवास करती है।
भिंड जिले की बोलियां एवं मेले –
भिंड तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में ब्रज एवं बुंदेली भाषा प्रचलित है। भिंड के कुछ गाँवो में बंजारी भाषा भी बोली जाती है।
भुजरियों का मेला: भिंड जिले के महोबा में सावन महीने के अंतिम दिन पर भुजरियों का मेला अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन हजारों नगरवासी तथा दूर दराज से आये हुए गांव वासी एक दूसरे को भुजरियाँ देके मान सम्मान करते है। भुजरियों का मेला वीर योद्धा आल्हा और ऊदल के नाम से सम्बंधित है।
जिला भिंड के प्रमुख पर्यटन स्थल –
- अटेर का किला
- गोहद का किला
- वनखड़ेश्वर मंदिर
- बरासों के जैन मंदिर
- विष्णु मंदिर, बरहड़
- शिवमंदिर, बीरखड़ी
- शिवमंदिर चीमका
- नारद देव मंदिर
- जमदारा में माता रेणुका मंदिर
- जामना वाले हनुमान जी
- पावई वाली शारदा माता
- श्री सीतराम बाबा रतवा (मौ)
अटेर का किला (Ater Fort) – जिला भिंड
अटेर के प्रसिध्द किले का निर्माण राजा बदन सिंह, महासिंह और बखत सिंह द्वारा 1664-1668 के समय में करवाया था। इस किले मे खूनी दरवाजा, बदनसिंह महल, बारहचंबा महल, हाथियापोर का दरवाजा आदि हैं।
गोहद का किला –
गोहद के किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में सरदार राजा भीम सिंह ने करवाया था। इस महल मे कछारी महल ईरानी कला का उदाहरण है|
वनखड़ेश्वर मंदिर –
वनखड़ेश्वर शिव मंदिर भिंड शहर में स्थित है। इसका निर्माण 1175 में राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा कराया गया। राजा पृथ्वीराज चौहान के समय से वनखड़ेश्वर शिव मंदिर में “अखंड ज्योति” लगातार प्रज्वलित रहती है।
जिले के प्रमुख संग्रहालय –
Bhind District के प्रमुख तथ्य –
- भिंड जिला 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश का सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला है।
- गौरी सरोवर पर्यटक स्थल भिण्ड शहर में स्थित है। पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्मित वनखड़ेश्वर मंदिर एक शिवालय है जो गौरी सरोवर के निकट है।
- भिंड जिले के गोहद को धान का कटोरा कहा जाता है।
- भिंड सबसे कम वर्षा वाला जिला है। यह सबसे कम अनुसूचित जनजाती वाला जिला है।
- जिले का सबसे बड़ा गांव गहेली है।
- यह खनिज रहित जिला है। यह पवन उर्जा के लिये अनुकूलन जिला है|
- रावत पुरा सरकार लहार तहसील में धार्मिक स्थल है। यहाँ पर प्रतिवर्ष मेले का आयोजन भी किया जाता है|
- दंदरौआ में प्रसिद्ध प्राचीन हनुमान का मंदिर है। यहाँ प्रतिष्ठित हनुमान की मूर्ति डॉ. हनुमान के नाम से प्रसिद्ध है।
- भिंड जिला चम्बल नदी के बीहड़ के लिए प्रसिद्ध है यहाँ बहुत पहले डाकू रहते थे।
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