जिला दतिया – म.प्र. की जिलेबार (MP District Wise GK in Hindi) सामान्य ज्ञान
जिले का नाम | जिला दतिया (District Datia) |
गठन | 1956 |
तहसील | दतिया, सेवड़ा, भांडेर, बड़ौनी, इंदरगढ़ |
पड़ोसी जिलों के साथ सीमा | भिंड, ग्वालियर शिवपुरी |
राज्यों के साथ सीमा | उत्तरप्रदेश (झाँसी) |
जनसँख्या (2011) | – |
साक्षरता दर (2011) | – |
भौगोलिक स्थिति | अक्षांतर स्थिति – 25o28′ से 26o20′ उत्तर देशांतर स्थिति – 78o10′ से 78o45′ पूर्व |
1956 में गठित जिला दतिया, ग्वालियर संभाग में आता है। ग्वालियर संभाग के अंतर्गत 5 जिले आते है-
- ग्वालियर (Gwalior District)
- दतिया (Datia District)
- शिवपुरी (Shivpuri District)
- गुना (Guna District)
- अशोकनगर (Ashoknagar District)
दतिया जिले का इतिहास
पीतांबरा देवी की नगरी के नाम से प्रसिद्ध जिला दतिया, ग्वालियर संभाग का एक जिला है। दतिया का प्राचीन नाम दिलीपनगर है। दतिया नगर को 16 वीं शताब्दी 1549 में बुंदेलखंड के बुंदेला राजा वीर सिंह जू ने बसाया था। प्राचीन काल में दतवक्त्र की राजधानी मानी जाती है। दतिया का शक्ति पीठ भारत की महत्वपूर्ण शक्ति पीठों में से एक है। मंदिरों की अधिकता के कारण दतिया को लघु वृन्दावन कहा जाता है। 17 वीं शताब्दी में बना बीरसिंह महल उत्तर भारत की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक माना जाता है।
सन 1907 में गठित होने वाली दतिया नगर पालिका मध्य प्रदेश की पहली नगर पालिका है। दतिया का भाण्डेर कस्बे का नाम महाभारत काल में भंडकपुर था।
माना जाता है कि दतिया की प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ के प्रांगढ में स्थित धूमावती का मंदिर भारत के एक मात्र मंदिर है। पीतांबरा पीठ के निकट बना राजगढ महल राजा शस्त्रु जीत बुंदेला द्वारा बनाया गया था। दतिया जिले के भाण्डेर में प्रदेश का पहला गैस आधारित विधुतगृह है। भाण्डेर सोन तलैया, लक्ष्मण मंदिर और प्राचीन किले के लिये प्रसिद्ध है।
दतिया के निकट स्थित पंचम कवि की टारियां अपने भैरव मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। बीरसिंह देव बुदेला ने 1618 में प्रतापगढ का निर्माण कराया था. जिसमें पुराने महल से लेकर भरतगढ तक की अनेकों भव्य इमारतें शामिल है।
तहसील – दतिया (MP Districtwise GK in Hindi)
दतिया जिले में पांच तहसील दतिया, सेवड़ा, भांडेर, बड़ौनी, इंदरगढ़ है।
भौगोलिक स्थिति – दतिया जिले की भौगोलिक स्थिति
दतिया जिले का क्षेत्रफल 2,902 किमी.2 है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से म.प्र. का 49वां जिला है। दतिया भौगोलिक दृष्टि से अक्षांतर स्थिति – 25o28′ से 26o20′ उत्तर, देशांतर स्थिति – 78o10′ से 78o45′ पूर्व पर स्थित है।
दतिया जिले की सीमा पूर्व में झाँसी जिले (उत्तरप्रदेश), पश्चिम में ग्वालियर, दक्षिण में शिवपुरी तथा उत्तर में भिंड जिले से लगती है। दतिया जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग NH – 75 होकर गुजरता है।
जिले का तापमान जून के महीने में 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। दतिया जिले की जलवायु उप उष्णकटिबंधीय है। दतिया तथा उसके आसपास के इलाके में औसत वर्षा लगभग 145 मिमी होती है।
मिट्टियाँ एवं कृषि – दतिया जिले में मिट्टियाँ एवं कृषि
यहाँ पर कछारी मिट्टी पायी जाती है। जिले की ज्यादातर मिट्टी अनुपजाऊ है।
दतिया जिले में गेहूँ, ज्वार, दलहन, कपास आदि की खेती होती है लेकिन जिले में उड़द दाल की खेती मुख्य रूप से होती है। उड़द दाल के लिए जिला दतिया मशहूर है।
मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के अंतर्गत गौ शालाओं का निर्माण किया जा रहा है। गौ शाला खोलने पर प्रति गाय 20/दिन चारे के लिए इस योजना के तहत दिए जाते है।
दतिया जिले की प्रमुख नदियाँ
- सिंध नदी
- पहुज नदी
- महुआ नदी
- बेतवा नदी
सिंध नदी ग्वालियर और दतिया की सीमा बनाती है तथा पहुज नदी दतिया (मध्यप्रदेश) और उत्तरप्रदेश के बीच सीमा बनती है।
सिंचाई एवं परियोजनाएं
भांडेर नहर परियोजना: यह परियोजना बेतवा नदी पर स्थित है। भांडेर नहर की लम्बाई 57.6 किलोमीटर है। इस परियोजना से लगभग 44535 हेक्टेयर तक सिंचाई की जा सकती है। म.प्र. के ग्वालियर, भिंड, दतिया जिले भांडेर नहर परियोजना से लाभन्वित है।
वन एवं वन्यजीव – District Datia
दतिया जिले में वन क्षेत्र इंडिया स्टेट ऑफ़ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार कुल क्षेत्रफल के मात्र 6.97% क्षेत्र में हरियाली है। यहाँ उपोष्ण कटिबंधीय अर्द्ध पर्णपाती वन पाए जाते है।
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लोकनृत्य – दतिया
- बधाई नृत्य
- राई नृत्य
खनिज सम्पदा एवं उद्योग – दतिया जिले में
खनिज सम्पदा की दृष्टि से दतिया जिला समृद्ध नहीं कहा जा सकता। यहाँ पर कुछ मात्रा में सीसा अयस्क तथा चुना पत्थर पाया जाता है।
दतिया जिले की अर्थव्यवस्था पूर्णतः कृषि पर आधारित है। दतिया जिला अभी भी पिछड़े औधोगिक वर्ग में आता है हालाँकि स्वतंत्रता के बाद यहाँ औधोगिक क्षेत्र में सुधार जारी है।
दतिया जिले के प्रमुख उद्योगों के नाम –
- एग्रो साल्वेंट प्रोडक्ट्स लिमिटेड गोविंद पूरा
- ग्वालियर सिंथेटिक्स लिमिटेड ग्राम सुनारी
- किशोरी पूजा ग्रेनाइट प्राइवेट लिमिटेड ग्राम गौराघाट
- गौरव पाइप मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, औधोगिक क्षेत्र
दतिया जिले में जनजाति
म. प्र. की पांचवी सबसे बड़ी जनजाति सहरिया दतिया जिले में निवास करती है। सहरिया जनजाति मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी और गुना में भी निवास करती है।
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दतिया जिले की बोलियां एवं मेले –
बोलियाँ – दतिया और उसके आसपस के इलाके में बुंदेली, राजपूति, सहरियाई और भदावरी भाषा प्रचलित है।
दतिया जिले में लगने वाले प्रमुख मेले –
- रतनगढ़ का मेला
- सोनागिरि का मेला
- बडौनी का मेला
- सनकुआ का मेला
रतनगढ़ का मेला: यह मेला सिंध नदी के किनारे स्थित पवित्र स्थान पर प्रतिवर्ष लगता है। यहाँ माता रतनगढ़ वाली का प्रसिद्ध मंदिर है।
दतिया जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल –
- दतिया का किला
- पीताम्बरा पीठ
- सोनागिरी जैन तीर्थ स्थल
- कन्हरगढ का किला
- सतखण्डा महल
- बालाजी सूर्य मंदिर
- राजगढ पैलेस एवं म्यूजियम
- स्योदा जल प्रपात
- बॉटनिकल गार्डन
- गोविन्द महल व महल
- माताटीला बांध
- पंचम कवि की टोरिया
- उडनू की टोरिया
- रतनगढ़ माता का मंदिर
- शीतला माता का मंदिर इंदरगढ़
- भगवती धूमावती देवी
- प्रसिद्ध बगुला मुखी देवी मंदिर
- विहारी जी का मंदिर
- गुरजरा
Datia Fort – दतिया किला
- दतिया किले के दरवाजे पर “न्यायमुकुट का हीरा है” लिखा है। दतिया शहर में यह किला ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। दतिया किले का निर्माण ओरछा नरेश वीरसिंह देव ने 17 वी शताब्दी में करवाया था।
सोनागिरि –
सोनागिरी पहाड़ी पर स्थित सोना गिरी के मंदिर जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय का पवित्र तीर्थ स्थल है। इसी स्थान पर राजा नंग नाग ने अपने 15 मिलियन अनुयायियों के साथ मोक्ष प्राप्त किया। सोनागिरि में 108 मंदिर है, जिनमें से भगवान चंद्रप्रभू (11 फ़ीट ऊँची मूर्ति ), शीतल नाथ और पार्श्वनाथ की प्रतिमा मुख्य है।
रतनगढ़ माता मंदिर
दतिया जिले के सेवडा से आठ मील दक्षिण पश्चिम की ओर एक ऊंची पहाडी पर रतनगढ़ नामक स्थान है। सिंध नदी से घिरे स्थान पर दुर्ग के अवशेष तथा घने जंगल के बीच देवी मंदिर है जिसे रतनगढ़ माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहीं पर रतनगढ़ का मेला भी लगता है
सिंओधा –
यहाँ सिंध नदी पर बने जल प्रपात के साथ-साथ कन्हरगढ़ के किले और नन्द नंदन महल तथा आकर्षक मंदिर है।
बालाजी सूर्य मंदिर –
दतिया के उनाव में बालाजी सूर्य मंदिर अति प्राचीन माना जाता है। पहुज नदी के किनारे स्थित यह मंदिर प्रागैतिहासिक काल का माना जाता है। यहाँ की मान्यता है कि असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति यदि पहुज नदी में स्नान करके मंदिर में स्थित सूर्यदेव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है, तो रोगो का नाश हो जाता है।
गोविन्द महल –
दतिया किले के गोविन्द महल को 1614 में राजा बीरसिंह देव ने बनवाया था। सात खण्ड का यह पूरा महल पत्थरों से बना हुआ है। महल में आकर्षक भित्ति चित्र बने है।
बडोनी –
दतिया से लगभग 3 किलोमीटर स्थित है यह छोटी बडोनी के नाम से जाना जाता है। यहाँ बौध्द और जैन धर्म से संबंधित गुप्तकालीन मंदिर बने हुये है। यह स्थान बुंदेली शैली में बने किले और हवेलियों के लिये प्रसिद्ध है।
पीतांबरा पीठ –
- दतिया का पीतांबरा पीठ देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक पीठ है | श्री गोलकवासी स्वामी द्वारा यहाँ पर प्रसिद्ध बगुला मुखी देवी और धूमावती देवी मां की प्रतिमा स्थापित करवाई गयी थी। यहाँ पर महाभारत कालीन वनखण्डेश्वर मंदिर भी स्थित है। भगवती धूमावती देवी का विश्व में एकमात्र मंदिर दतिया जिले में है।
जिले के प्रमुख संग्रहालय –
- दतिया राजगढ़ महल संग्रहालय – कई प्राचीन वस्तुओं के अलावा इस संग्रहालय में गामा पहलवान की तस्वीर और राजाओं के अस्त्र-शस्त्र एवं अन्य चीजें रखी है।
DATIA DISTRICT के प्रमुख तथ्य –
- 1907 में गठित होने वाली दतिया नगर पालिका मध्यप्रदेश की पहली नगर पालिका है।
- दतिया जिले में बहने वाली मुख्य नदियों में सिंध, पहुज, महुआ तथा वेतबा शामिल है।
- दतिया जिले को लघु वृंदावन कहा जाता है।
- प्रसिद्ध बगुला मुखी देवी मंदिर दतिया जिले में है।
- “न्याय मुकुट का हीरा है” यह दतिया किले पर लिखा है।
- “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं” अभियान की शुरुआत 15 अक्टूबर 2011 सर्वप्रथम दतिया जिले से हुयी।
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