जिला ग्वालियर – म.प्र. जिलेबार सामान्य ज्ञान | MP GK in Hindi

जिला ग्‍वालियर – म.प्र. की जिलेबार (MP District Wise GK in Hindi) सामान्य ज्ञान

ग्वालियर जिले की Most Important GK जो की MP के सभी एक्साम्स में पूछे जाती है। इस पोस्ट के माध्यम से MP Gwalior District GK के सभी फैक्ट एक ही जगह एकत्रित किये गए है।

जिससे MP Professional Examination Board और MPPSC के द्वारा पूछे जाने वाले पेपर्स में छात्र को Gwalior जिले की जनरल नॉलेज फैक्ट एक ही जगह प्राप्त हो जाये है|

इसके आलावा मध्यप्रदेश के सभी जिलों की अलग से पोस्ट बनायी गयी है जिससे आपको MP के सभी District की महत्वपूर्ण GK एक जगह मिल जाये|

जिले का नाम जिला ग्‍वालियर (District Gwalior)
गठन 1956
तहसील ग्वालियर, डबरा, भितरवार, चीनौर, घाटीगांव
पड़ोसी जिलों के साथ सीमामुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी
जनसँख्या (2011)12,41,519
साक्षरता दर (2011)63.23%
भौगोलिक स्थितिअक्षांतर स्थिति – 25o43′ से 26o21′
देशांतर स्थिति – 77o40′ से 78o39′
जिला ग्वालियर – म. प्र. जिलेबार सामान्य ज्ञान

ग्वालियर जिले के बारे में जानकारी

Gwalior का प्राचीन नाम गोपांचल भी मिलता है जो कि ग्‍वालियर किले के नीचे एक पर्वत है। ग्वालियर शहर को संगीतकार तानसेन के नाम पर तानसेन नगरी भी कहा जाता है। ग्‍वालियर वर्ष 1948 से 1956 तक मध्‍य प्रांत की राजधानी था। लेकिन जब मध्यभारत का हिस्सा म.प्र. के गठन के समय 1956 में मिलाया तब ग्वालियर को जिला बना दिया गया।

Gwalior District ग्वालियर संभाग में आता है| जिसका मुख्यालय ग्वालियर है| ग्वालियर संभाग के अंतर्गत 5 जिले आते है-

  1. जिला ग्वालियर (Gwalior District)
  2. दतिया (Datia District)
  3. शिवपुरी (Shivpuri District)
  4. गुना (Guna District)
  5. अशोकनगर (Ashoknagar District)
जिला ग्वालियर - म.प्र. जी.के. - मध्यप्रदेश जिलेबार सामान्य ज्ञान

ग्वालियर जिले का इतिहास History Of Gwalior District

जिला ग्‍वालियर अपने भव्‍य किले पुरातात्विक व एतिहासिक स्‍थलों व मंदिरों के लिये विश्‍व विख्‍यात है। यह 1500 वर्ष से अधिक पुराना शहर है। ग्‍वालियर गुर्जर, प्रतिहार, तोमर, तथा कछवाह राज वंशों की राजधानी रहा है।

ग्‍वालियर के नाम के बारे मे कहा जाता है कि आठवी सदी में राजा सूरज सेन एक अज्ञात बीमारी से ग्रस्त थे, तब ग्‍बालिया (ग्वालपा) नामक संत ने उन्‍हें ठीक कर जीवन दान दिया। राजा सूरज सेन ने उन्‍ही के सम्‍मान में 727 ई. में ग्वालियर किले निर्माण और शहर का नाम ग्‍वालियर रखा।

प्रतिहार शासकों के पश्‍चात कछवाह शासको का बारहवीं शताब्दी तक शासन किया। मोहम्मद गजनवी ने 1023 ई. में इस किले पर आक्रमण किया किन्तु वह जीत नहीं पाया। 1196 ई. में कुतबुददीन एबक ने इस दुर्ग को जीता था परन्तु ज्यादा समय तक शासन नहीं किया। 1223 में गुलाम वंश के संस्थापक इल्तुतमिश ने इस किले को जीता | सन 1308 में बीरसिंह देव ने तोमर वंश की नींव रखी।

वर्ष 1398 से 1518 ई. तक ग्वालियर पर तोमर वंश का शासन रहा। जिसमे राजा मानसिंह काफी प्रसिद्ध शासक रहे। राजा मानसिंह ने 1486 से 1516 में मानसिंह महल का निर्माण कराया। इन्‍हीं के कारण ग्वालियर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को ग्‍वालियर घराना के नाम से जाना जाता है।

राजा मानसिंह ने लोदी की अधीनता स्वीकार कर ली। उसके कुछ समय बाद बाबर ने इस किले पर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराकर इस किले पर राज किया। सूरी के मौत के बाद 1540 में इस्लाम शाह ने राज्य किया। उसके बाद कई और शासकों ने राज्य किया। अकबर ने ग्वालियर के किले पर हमला कर अपने अधिकार में ले लिया और इसे कारागर बना दिया।

1765 ई. में मराठा शासकों ने इस किले पर अपना आधिपत्‍य किया। 1810 में महादजी सिंधिया ने इस किले की बागडोर सम्भाली। दौलतराव सिंधिया ने 1794 से 1821 में अपनी राजधानी उज्‍जैन से ग्‍वालियर स्थानांतरण की थी।

तहसील – ग्वालियर (MP Districtwise GK in Hindi)

ग्वालियर जिले में 5 तहसील – ग्वालियर, डबरा, भितरवार, चीनौर, घाटीगांव तहसीलें है।

भौगोलिक स्थिति – ग्वालियर जिले की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु

ग्वालियर जिले का क्षेत्रफल 5465 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश का 39 वां जिला है। ग्वालियर भौगोलिक दृष्टि से अक्षांतर स्थिति – 25o43′ से 26o21′, देशांतर स्थिति – 77o40′ से 78o39′ पर स्थित है।

जिले की सीमा म. प्र. के चार जिले – मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी के साथ लगती है। यह पूर्णतः भू-आवेष्ठित जिला है। ग्वालियर जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग NH – 3, NH – 92, NH – 75 होकर गुजरते है।

ग्वालियर की जलवायु गर्मियों में अधिक गर्मी तथा सर्दियों में अधिक सर्दी रहती है। यहाँ अप्रैल से जून के मध्य औसत तापमान 45-47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तथा सर्दियों में 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे गिर जाता है।

यहाँ बारिश ज्यादातर मानसून के महीनों में ही होती है। जिले में बर्षा प्रतिवर्ष 700 मिमी औसत होती है। मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चलती है।

मिट्टियाँ एवं कृषि – ग्वालियर जिले में मिट्टियाँ एवं कृषि

यह दोनों प्रकार जलोढ़ मिट्टी और कछारी मिट्टी वाला क्षेत्र है।

ग्वालियर जिले में मसूर, सरसों, धान, गेहूं की फसल मुख्य रूप से उगाई जाती है। ग्वालियर जिले के गोरस, पिपरानी,पनवाड़ा, सिलपुरी, सोनीपुरा एवं खिरखिरी गाँव पशुपालन के क्षेत्र है।

ग्वालियर जिले की प्रमुख नदियाँ

  • स्वर्ण रेखा नदी
  • मुरार नदी
  • सिंध नदी

सिंध नदी ग्वालियर और दतिया को अलग करती है।

जरूर पढ़ें:- म.प्र. डेली | साप्ताहिक | मंथली करंट अफेयर्स डाउनलोड पीडीएफ | MP Current GK

सिंचाई एवं परियोजनाएं

‘चम्बल परियोजना’: मध्यप्रदेश की पहली परियोजना ‘चम्बल परियोजना’ से मुरैना जिले के साथ भिंड जिला तथा ग्वालियर जिला भी लाभान्वित है। इसकी स्थापना वर्ष 1953-54 में हुई थी।

‘चम्बल परियोजना’ से म.प्र. के मुरैना, भिंड, ग्वालियर, मंदसौर तथा नीमच जिलों में सिंचाई की जाती है। ग्वालियर जिला ‘चम्बल परियोजना’ के अलावा बेतवा नदी पर भांडेर परियोजना से भी लाभन्वित है।

वन एवं वन्यजीव – District Gwalior

ग्वालियर जिले में 1193 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन क्षेत्र है। यहाँ के वन क्षेत्र उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र है।

राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण – ग्वालियर

सोन चिरैया अभ्यारण (GHATIGAON Wildlife Sanctuary) ग्वालियर के घाटीगांव में है। इसका क्षेत्रफल लगभग 398.91 किमी2 है। सोन चिरैया अभ्यारण में मुख्य रूप से प्राय लुप्त सोन चिड़ियाँ का संरक्षण किया जा रहा है। इसके साथ चिंकारा, सांभर, नीलगाय का भी संरक्षण किया जा रहा है।

खनिज सम्पदा एवं उद्योग – ग्वालियर जिले में

  • चीनी मिटटी
  • तांबा
  • चूना पत्थर
  • डोलोमाइट
  • पीला और हरा संगमरर
  • गेरू आदि पाया जाता है।

ग्वालियर जिला पीले और हरे संगमरर के लिए जाना जाता है।

यहाँ पर ग्वालियर इंजीनियर वर्क संयंत्र में रेल के इंजनों तथा डिब्बों की मरम्मत की जाती है। इसके अलावा अस्पताल संबंधी उपकरण तथा बांधो के लिए इस्पात द्वार एबं अन्य उपकरण भी बनाये जाते है। ग्वालियर से इमारती पत्थर, संगमरमर, डोलोमाइट, लौह के अयस्क तथा कृषि उत्पाद सामग्री अन्य स्थानों के लिए भेजे जाते है।

ग्‍वालियर में दियासलाई के डिब्‍बे बनाने का एक कारखाना है।

ग्वालियर जिले में जनजाति

म. प्र. की पांचवी सबसे बड़ी जनजाति सहरिया ग्वालियर जिले में निवास करती है। सहरिया जनजाति मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी और गुना में भी निवास करती है।

ग्वालियर जिले की बोलियां एवं मेले –

भिंड तथा उसके आसपास के क्षेत्रों (ग्वालियर) में ब्रज एवं बुंदेली भाषा प्रचलित है। ग्वालियर जिले के घाटीगाँव तथा उसके आसपास के गाँवों में बंजारी भाषा भी बोली जाती है।

रामलीला का मेला: जिले की भांडेर तहसील में लगभग 100 से अधिक समय से जनवरी-फरबरी के महीने में रामलीला का मेला लगता है।

ग्‍वालियर व्‍यापार मेला: म.प्र. का दूसरा सबसे बडा मेला ग्‍वालियर व्‍यापार मेला है, इस मेले की शुरूआत 1905 मे सिंधिया शासकों ने पशु मेले के तौर पर की थी।

हीराभुमिया का मेला: ग्वालियर तथा उसके आसपास के क्षेत्र में हीरामन बाबा प्रसिद्ध है। हीरामन बाबा का मेला अगस्त और सितम्बर माह में लगता है। ऐसा कहा जाता है कि हीरामन बाबा के आशीर्वाद से महिलाओं का बाँझपन दूर होता है।

ग्वालियर जिले से प्रकाशित प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ

  • स्वयं निर्माणम
  • साहित्य परिक्रमा
  • जग लीला
  • जनप्रवाह
  • पृथ्वी और पर्यावरण
  • लोकमंगल पत्रिका
  • ग्वालियर गजट
  • ग्वालियर अखबार आदि|
  • मध्‍य प्रदेश का पहला  समाचार पत्र ग्‍वालियर अखबार था।

यह भी जरूर देखें – म. प्र. के सभी जिलों की प्रमुख पत्र पत्रिकाएं और समाचार पत्र

ग्वालियर जिले से सम्बंधित प्रमुख व्यक्ति

  • तानसेन
  • उस्ताद हाफिज अली खां
  • पंडित रविशंकर राव
  • राजा भैया (बालकृष्ण आनंद राव आप्टेकर)
  • जावेद अख्तर
  • नरेंद्र कृष्ण कर्मकार
  • अटल बिहारी बाजपेयी
  • शरद केलकर (प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता)
  • कार्तिक आर्यन (प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता)

जिले के प्रमुख संग्रहालय/मुख्‍य संस्थान

  • नेशनल इंस्टिट्यूट आफ डिजाइन
  • इंण्डियन इंस्टिट्यूट आफ इनफोरमेशन टैक्‍नोलोजी एण्‍ड मेनेजमेंट
  • पटवारी प्रशिक्षण केन्‍द्र
  • मध्‍य प्रदेश भू-राजस्व एवं बंदोवस्‍त प्रशिक्षण संस्थान
  • भारतीय सूचना प्रोद्यौगिकी प्रबंधन संस्‍थान
  • भारतीय पर्यटन एवं प्रबंधन संस्‍थान
  • मध्‍य प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय खण्‍डपीठ
  • एम पी राजस्‍वन्‍यायालय
  • एम पी महालेखाकार कार्यालय
  • रूपसिंह स्टेडियम
  • महिला हॉकी अकादमी
  • गुजरी महल संग्रहालय

ग्वालियर जिले में प्रमुख पर्यटन स्थल –

  • ग्वालियर का किला
  • गूजरी महल
  • जयविलास पैलेस
  • मोहम्‍मद गॉस का मकबरा
  • तानसेन का मकबरा
  • रानी लक्ष्‍मी बाई की समाधि
  • मोती महल
  • सरोद घर
  • संगीत संग्रहालय
  • घाटी गांव अभ्‍यारण
  • सास-बहू (सहस्त्रबाहु) का मंदिर
  • तेली का मंदिर
  • दाता बंधी छोडो गुरूद्वरा
  • सूर्य मंदिर
  • जैन मंदिर,
  • गुप्‍तेश्‍वर मंदिर
  • धुंआं हनुमान मंदिर
  • चतुर्भुज मंदिर
  • सिंधिया राजवंश की छतरियाँ
  • उषा किरण पैलेस आदि प्रमुख स्थल है|

ग्वालियर का किला –

ग्वालियर किले का निर्माण ग्वालियर से 12 किमी दूर सिंहौनिया गाँव के सरदार सूर्यसेन ने 727 ई. में करवाया तथा इसका जीर्णोद्वार राजा मानसिंह ने करवाया था। किले के अंदर स्थित मान मंदिर किले का हृदयस्थल तथा गूजरी महल किले का ताज कहा जाता है। किले की बाहरी दीवार लगभग 2 मील लम्बी और 1 किमी से 200 मीटर तक चौड़ी है।

ग्वालियर के किले का निर्माण महाराजा सूरजसेन ने 6वीं शताब्दी में करवाया था । ग्वालियर के किले को भारत के किलों का रत्‍न कहा जाताा है।

ग्वालियर स्थित यह किला बलुआ पत्थर (सेडस्टोन) की 100 मीटर ऊंची चट्टान पर स्थित है।

जिसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण 2-5 कि.मी. तथा चौड़ाई पूर्व से पष्चिम 200 मी. से 725 मी. तक है।

दुर्ग का प्राचीनतम स्मार्क सूर्य मंदिर है। जिसका निर्माण हूड राजा मिहिर कुल ने 525 में अपने शासन के 15 वे वर्ष में मातृ चेष्ट ने करवाया था। आठवी शताब्दी में यहॉ गुर्जर-प्रतिहार वंष अस्तित्व में आया जिसके बाद 10 वी शताब्दी में इस दुर्ग पर कच्छपघात वंष के राजाओं का अधिकार हो गया।

13 वीं शताब्दी में इस किले को कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने अधीन कर लिया और अपने दामाद इल्तुतमिष को यहां का अमीर नियुक्त किया। 1398 ई. में सुप्रसिद्ध ग्वालियर के किले पर तोमर राजपूतों का आधिपत्य हुआ 1523 ई. में लोधी वंष के इब्राहिम लोदी ने तोमर राजा विक्रमादित्य को पराजित कर इस किले को अपने अधीन कर लिया 1526ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध बाद यह दुर्ग मुगलों के अधीन आ गया।

1754 ई. से 1781 ई. के बीच यह दुर्ग मुगलों के अधिकार से किट कर क्रमाषः मराठों, गोहद के राणा तथा अंत में 1780 ई. में अंग्रेजों के अधिकार में आ गया 1782 में सल्वाई की संधि द्वारा ग्वालियर दुर्ग पर सिंधिया वंश का अधिकार हो गया इसके बाद यह दुर्ग क्रमषः अंग्रजों व सिधिया वंष के अधीन रहा 1858ई. ह्यूरोज ने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया तथा 1886 ई. में अंततः यह दुर्ग सिधिया मराठों को प्राप्त हुआ। स्वतंत्रा प्राप्ति के बाद 1948ई. में ग्वालियर मध्य भारत के अंतर्गत शामिल कर लिया गया।

ग्वालियर किले पर निर्मित महल

करन मंदिर, मानसिंह मंदिर, विक्रम मंदिर, जहांगीर महल, शाहजहाँ महल, तथा किले की तलहटी में गूजरी महल मुख्य है। तथा सूर्य मंदिर 6 वी शताब्दी में राजा मिहिर कुल के द्वारा करवाया गया] तेली का मंदिर(750ई. में निर्मित)] चतुर्भुज मंदिर(876ई.)] तथा सास-बहू मंदिर(1093ई.) प्रमुख हैं] इसके अलावा तालाब] बाबडी, जलकुण्ड तथा कुंए भी इस किले की सुदरता को बढाते हैं।

गूजरी महल –

इस महल का निर्माण तोमर वंश के शासक राजा मानसिंह द्वारा 15 वी शताब्दी में अपनी सर्वाधिक नजदीक रानी मृगनयनी के लिये करवाया था। मृगनयनी का जन्‍म गूजर वंश में हुआ था। इसलिये यह वंश गूजरी महल के नाम से जाना जाता है।

तेली का मंदिर –

Gwalior की पहाड़ी के ऊपर प्रतिहार कालीन राजा मेहर भोज ने 8 व 9 वीं सदी में बनाया था। यह बिष्‍णु मंदिर स्‍थापत्‍य कला का एक बेजोड़ नमूना है। तेली का मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक तेली, तेल के व्‍यापारी द्वारा बनबाये जाने के कारण इसे तेली का मंदिर कहा जाता है। 23 मीटर की ऊंचाई वाला मंदिर अपनी कला के लिये जाना जाता है। तेली का मंदिर ग्वालियर की सबसे बड़ी ईमारत है। यह द्रविड़ शैली में निर्मित है।

सास-बहु का मंदिर –

सास बहु का मंदिर: इसका वास्‍तविक नाम सहस्त्रबाहु मंदिर है। जिसे अपभ्रंश के कारण सास-बहु का मंदिर कहा जाने लगा। यह मंदिर पहाड़ी पर बना है। यह 11वीं सदी का मंदिर है। सहस्त्रबाहु मंदिर विष्णु मंदिर का प्र‍तीक है।

तानसेन का मकबरा

तानसेन का मकबरा भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और अकबर के नौ रत्नो में से एक प्रमुख गायक तानसेन का है। तानसेन अकबर के दरबार से पहले रीवा के राजा श्री रामचंद्र जी के दरबार में थे।

चतुर्भुज मंदिर –

किले की पश्चिमी चढ़ाई पर आधा मार्ग पार करने पर सडक के किनारे कटा हुआ छोटा सा चतुर्भुज मंदिर है। चतुर्भुज मंदिर के गर्भ ग्रह में विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा है।

मनहर देव मंदिर –

ग्‍वालियर किले में मनहर देव में प्राचीन जैन मंदिर स्थित है। 11 और 12 वीं सदी की बहुत सी मूर्तियां तथा प्राचीन प्रतिमाएं विपुल मात्रा में बानी है। इस मंदिर में जैन तीर्थंकर शांति नाथ की चार पांच मीटर ऊँची अतिशय सम्‍पन्‍न प्रतिमा है।

संगीत सम्राट तानसेन की समाधि  –

ग्‍वालियर से 48 किलो मीटर की दूरी पर बेहट नामक स्‍थान पर स्थित है। हिंदुस्तानी शास्‍त्रीय संगीत का प्रथम महान संगीतकार तानसेन था, जो कि अकबर के नव रत्‍नों में से एक था इनकी  समाधि एवं मकबर मोहम्मद गोस के मकबरा के पास है। यह मुगल काल की स्‍थापत्‍य कला का एक नमूना है।

मोहम्मद गॉस का मकबरा –

अफगान राजपुरूष मोहम्मद गोस मुग़ल सम्राट अकबर के धर्म गुरू थे। मोहम्‍मद गॉस का मकबरा एक भव्‍य इमारत है, इसकी नक्‍कासीदार जालियां व गुम्मद कलात्‍मक है। यह मकबरा 100 फीट ऊँचा है और इसके चारो तरफ 6 कोने वाली इमारत है।

झॉसी की रानी की समाधि –

अंग्रेजों से सन 1857 की क्रांति में लड़ते-लड़ते शहीद रानी लक्ष्‍मी बाई की समाधि ग्‍वालियर में है।

पवाया –

पवाया का प्राचीन नाम पद्मावती था। ग्‍वालियर 68 किलो मीटर दूर सिंध और पार्वती नदियों के संगम पर स्थित है। यह स्‍थल नाग राजाओं की तीन राजधानियों में  एक रहा है। भवभूति ने इस नगर का अपने नाटक मालती माधव में भौगोलिक, सामाजिक, तथा सांस्‍कृतिक परिवेश का वर्णन किया है|

ग्‍यारसपुर –

ग्‍वालियर जिले में स्थित इस पुरातात्विक स्‍थल का उत्‍खनन 1933 में कराया गया। उत्‍खनन से प्राप्‍त सामाग्री में मंदिर गर्भ ग्रह, ग्‍यासुददीन तुगलक के समय के तांबे के सिक्‍के, खण्डित प्रतिमाये, लघुलेख, 10 शताब्दि का एक बडा लेख् अलंकरण आदि प्राप्‍त हुये।

मान मंदिर महल –

ग्वालियर का प्राचीन मान मंदिर महल का निर्माण 1486 से 1517 के बीच प्रतापी राजा मानसिंह तोमर ने कराया था| यह अपनी  स्थापत्य एवं अलंकरण की दृष्टि से मध्‍य काल में निर्मित सर्वोत्तम महल में से एक है। यही पर जौहर कुण्‍ड एवं सूरज कुण्‍ड भी स्थित है|

सरोध घर –

प्रसिद्ध सरोद वादन उस्‍ताद हाफिज अली खान का ग्‍वालियर के जीवाजी गंज में पुस्तैनी निवास को सरोध घर के रूप में स्थापित किया गया। वर्ष 1995 में सरोध घर में स्‍वर्गीय हाफिज अली खॉ के सरोद के साथ-साथ उनके वशं के अन्‍य कलाकरों के वाद्य यंत्र संजोयकर रखे गये है।

गोपांचल पर्वत –

ग्‍वालियर का प्राचीन नाम इस पर्वत के नाम पर गोपंचल पड़ा| यह किले मे ढलान वाले भाग में है| Gwalior में प्राचीन कलात्‍मक जैन मूर्ति समूह है, जो 1392 से 1536 में मध्‍य पर्वत को तरासकर बनायी गयी है| यही पर पार्श्‍वनाथ की 47 फीट उंची प्रतिमा है|

Gwalior के विशाल दुर्ग में पांच दरवाजे है इन्‍हैं क्रमश: आलम गीर दरवाजा, हिण्‍डोला दरवाजा, गूजरी महल दरवाजा, चतुर्भुज महल दरवाजा, हाथी पोण्‍ड दरवाजा कहा  जाता है| इस किले को मुगल शाह बाबर ने किलों का मोती कहा था।

GWALIOR DISTRICT के प्रमुख तथ्य –

  • प्रदेश का पहला मानसिंह संगीत विश्‍व विद्यालय 2008 में बना था।
  • प्रदेश का दूसरा कृषि विश्‍वविद्यालय विजायाराजे सिंधिया वर्ष 2008 में बना था।
  • मध्यप्रदेश का पहला चिकित्‍सा महाविद्यालय गजराराजे 1946 में बनाया गया था|
  • ग्‍वालियर में NCC महिला प्रशिक्षण कालेज है। ग्‍वालियर में ही महारानी लक्ष्‍मी बाई शारीरिक शिक्षा  महाविद्यालय वर्ष 1957 में बना था, जो एशिया का प्रथम शारीरिक महाविद्यालय है|
  • देश का पहला भू-गर्भ एवं खनिज म्यूजियम MP के ग्‍वालियर में खुलेगा। इस म्यूजियम में देशभर में उपलब्ध खनिज संपदा और जीवाश्‍म को संरक्षित कर रखा जायेगा।
  • मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर (Gwalior District) को यूनेस्कों की उस विश्‍व धरोहर सूची में रखा गया है, जिसमें धरोहर के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग मिलने की पात्रता हासिल हो जाती है।
  • पुराने ग्‍वालियर के पास बसाये गये नये ग्‍वालियर को लश्‍कर कहा जाता है।
  • ग्‍वालियर के किले को पूर्व का जिब्राल्‍टर तथा किलों का रत्‍न कहा जाता है।
  •  वर्ष 1964 में ग्‍वालियर आकाश वाणी केन्‍द्र की स्‍थापना हुई |
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश का चौथा सर्वाधिक जन घनत्‍व  446 वाला जिला है।
  • सर्वाधिक पांचवा साक्षरता 76.7 प्रतिशत वाला जिला है।
  • ग्‍वालियर जिले में स्थित घाटी गांव अभ्‍यारण जो सोन चिरईया के लिये प्रसिद्ध है।

ग्‍वालियर के किले से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्‍न

मानसिंह महल कहां स्थित है – ग्‍वालियर

शहस्‍त्रवाहु का मंदिर कहां स्थित है – ग्‍वालियर के किले में

तेली का मंदिर कहां स्थित है – ग्‍वालियर के किले पर

गूजरी महल संग्रहालय कहां स्थित है – ग्‍वालियर

ग्‍वालियर के किले में कितने दरवाजे हैं – पांच

मानसिंह महल का निर्माण किसने करवाया था – राजा मानसिंह

ग्‍वालियर के किले का निर्माण किसने करवाया था – राजा सूरजसेन ने

सालावाई संधि के बाद किस का  शासन ग्‍वालियर पर हो गया था – सिंधिया वंश

ग्‍वालियर किले पर तोमर राजपूतों का आधिपत्‍य कब हो गया था -1398 ई.

सालावाई संधि कब हुई थी – 1782 ई. में

ग्‍वालियर के किले का निर्माण किस पहाड़ी पर किया गया है उसे किस नाम से जाना जाता है – गोपगिरि पहाड़ी

दुर्ग का प्राचीनता स्‍मार्क सूर्य मंदिर है जिसका निर्माण किसके द्वारा करवाया गया था – राजा मिहिर जो कि हूड वंश का था

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आप इन जिलों के बारे में भी पढ़ सकते है-

मुरैनाभिण्डश्योपुरग्वालियर
दतियाशिवपुरीगुनाअशोकनगर
भोपालसीहोररायसेनविदिशा
राजगढ़उज्जैनदेवासशाजापुर
आगर मालवारतलाममंदसौरनीमच
इंदौरधारझाबुआअलीराजपुर
बड़वानीखरगोनखण्डवाबुरहानपुर
सागरदमोहछतरपुरपन्ना
टीकमगढ़निमाड़ीरीवासतना
सीधीसिंगरौलीशहडोलउमरिया
अनूपपुरजबलपुरनरसिंहपुरछिंदवाड़ा
बालाघाटमण्डलाडिंडोरीसिवनी
कटनीबैतूलहरदाहोशंगाबाद

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