जिला दमोह GK – म.प्र. जिलेबार सामान्य ज्ञान (MP GK District Wise in Hindi)
दमोह जिले के सभी Most Important MP General Knowledge Fact जो की MP के सभी एक्साम्स में पूछे जाते है| इस पोस्ट के माध्यम से MP Damoh District GK के सभी फैक्ट एक ही जगह एकत्रित किये गए है|जिससे MP Professional Examination Board के द्वारा पूछे जाने वाले पेपर्स में छात्र को दमोह जिले की जनरल नॉलेज फैक्ट एक ही जगह प्राप्त हो जाये है|इसके आलावा मध्यप्रदेश के सभी जिलों की अलग से पोस्ट बनायी गयी है जिससे आपको MP के सभी District की महत्वपूर्ण GK एक जगह मिल जाये|
जिले का नाम | जिला दमोह (Jila Damoh) |
गठन | 1956 |
तहसील | दमोह, पथरिया, पटेरा, हटा, जबेरा, तेंदूखेड़ा, बटियागढ़, दमयंती नगर |
पड़ोसी जिलों के साथ सीमा | छतरपुर, पन्ना, कटनी, नरसिंहपुर, जबलपुर, सागर |
जनसँख्या (2011) | 12,64,219 वर्ग किलोमीटर |
साक्षरता दर (2011) | 69.73% |
भौगोलिक स्थिति | अक्षांतर स्थिति – 23o09′ उत्तर देशांतर स्थिति – 79o03′ पूर्व |
जिला दमोह, सागर संभाग के अंतर्गत आता है। मध्यप्रदेश का जबलपुर, इंदौर,उज्जैन के बाद चौथा बड़ा संभाग सागर है।
सागर संभाग में 6 जिले आते है|
- सागर (District Sagar)
- दमोह (District Damoh)
- पन्ना (District Panna)
- छतरपुर (DistrictChhatarpur)
- टीकमगढ़ (District Teekamgarh)
- निमाड़ी (District Nimari)
- दमोह जिले का इतिहास –
- तहसील – दमोह (MP Districtwise GK in Hindi)
- भौगोलिक स्थिति – दमोह जिले की भौगोलिक स्थिति
- मिट्टियाँ एवं कृषि – दमोह जिले में मिट्टियाँ एवं कृषि
- जिला दमोह की प्रमुख नदियाँ
- जिला दमोह में सिंचाई एवं परियोजनाएं
- वन एवं वन्यजीव – District Damoh
- जिला दमोह में राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण
- खनिज सम्पदा एवं उद्योग – दमोह जिले में
- दमोह जिले में जनजाति
- जिला दमोह की बोलियां एवं मेले –
- जिला दमोह के प्रमुख पर्यटन स्थल –
- जिला दमोह के प्रमुख तथ्य –
दमोह जिले का इतिहास –
प्राचीन समय से ही दमोह मानव सभ्यता की पालना रहा है। इसके साक्ष्य सिंग्रामपुर से प्राप्त पौराणिक काल के पाषाण हथियारों से मिले है। यह क्षेत्र 5 वीं शताब्दी के लगभग पाटलिपुत्र के गुप्त साम्राज्य का हिस्सा था समुन्द्रगुप्त, स्कंदगुप्त और चन्द्रगुप्त के काल के शिलालेख, सिक्के व अन्य कई साक्ष्य प्राप्त हुए है। इसके अलावा दमोह का कुछ भाग चेदि साम्राज्य में भी आता था।
दमोह District पुरातात्विक नगरी है। दमोह जिले में गुप्तकालीन एवं कल्चुरी वंश के शासन के सबूत मिलते है। दमोह जिला को पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है। बालीगढ का किला पर्शियन वास्तुकला का उदाहरण है।
तहसील – दमोह (MP Districtwise GK in Hindi)
दमोह जिले में 8 तहसीलें दमोह, पथरिया, पटेरा, हटा, जबेरा, तेंदूखेड़ा, बटियागढ़, दमयंती नगर शामिल है।
भौगोलिक स्थिति – दमोह जिले की भौगोलिक स्थिति
दमोह जिले का क्षेत्रफल 7306 वर्ग किलोमीटर है| दमोह जिला क्षेत्रफल की द्रष्टि से मध्यप्रदेश का 15 वां जिला है| यह
दमोह जिले की सीमा मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना, कटनी, नरसिंहपुर, जबलपुर और सागर जिलों से लगती है।
मौसम – दमोह जिले में सामान्य बारिश होती है। जिले में औसत बर्षा 105 मि. मी. तक होती है। दमोह जिले का गर्मियों में तापमान 44 डिग्री सेंटीग्रेड तक ऊपर और सर्दियों में 04 डिग्री सेंटीग्रेड नीचे तक पहुंच जाता है।
मिट्टियाँ एवं कृषि – दमोह जिले में मिट्टियाँ एवं कृषि
दमोह जिले में सर्वाधिक उपजाऊ कही जाने वाली जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है।
कृषि – धान, गेहूँ और चना आदि दमोह जिले की प्रमुख फसलें है।
पशुपालन – दुग्ध उत्पादन और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए गोकुल महोत्सव का प्रत्येक वर्ष आयोजन किया जाट है और इसके अलावा गोपाल पुरस्कार योजना प्रतियोगिता की जाती है।
जिला दमोह की प्रमुख नदियाँ
सोनार और केन नदी दमोह जिले की प्रमुख नदियाँ है।
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जिला दमोह में सिंचाई एवं परियोजनाएं
सीतानगर माध्यम सिंचाई परियोजना – दमोह जिले के सीतानगर में सोनार नदी पर माध्यम सिंचाई परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना से जिले की 3 विधानसभा क्षेत्रों की लगभग 16 हजार 200 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकेगी।
वन एवं वन्यजीव – District Damoh
दमोह जिले का कुल वनक्षेत्र 2587 वर्ग किलोमीटर (2019) है। यहाँ के वनो में नीम, सागौन, शीशम, पीपल आदि के वृक्ष अधिकता में पाए जाते है। बाघ, जंगली कुत्ते, चीतल, लोमड़ी, हिरन आदि वन्यजीव देखे जा सकते है।
जिला दमोह में राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण
नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य – सागर जिले में स्थित नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य का कुछ क्षेत्र दमोह जिले में भी है। 1975 में स्थापित नौरादेही अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 1194.672 वर्ग किलोमीटर है।
खनिज सम्पदा एवं उद्योग – दमोह जिले में
दमोह जिले क्षेत्र में पायरोफ्लाइट और रॉक फास्फेट खनिज सम्पदा पाई जाती है।
उद्योग – दमोह जिले में मारूताल क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। दमोह में वर्ष 1983 से सीमेंट उद्योग की शुरुआत की गयी।
दमोह जिले में जनजाति
दमोह जिले में सौर और खैरवार जनजाति निवास करती है।
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जिला दमोह की बोलियां एवं मेले –
बुंदेली भाषा प्रचलित है।
मेला – जटाशंकर का मेला – प्रत्येक वर्ष मकरसंक्राति के अवसर पर जटाशंकर मंदिर के आसपास एक वृहद मेले का आयोजन होता है।
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जिला दमोह के प्रमुख पर्यटन स्थल –
- जटाशंकर मंदिर
- सिंगौरगढ़ का किला
- कुण्डलपुर जैन धर्म
- बांदकपुर
- नोहलेश्वर मंदिर
- हनुमानगढ़ी मंदिर
- लक्ष्मण कुटी मंदिर
- मढ़कोले मंदिर
- बूंदा बहू मंदिर
- श्रीराम मंदिर
- दीवान जी की तलैया
जिला दमोह के प्रमुख तथ्य –
- दमोह जिले के संग्रामपुर घाटी में पाषाण कालीन युगीन मानव के साक्ष्य मिलते है|
- सिंगरगढ़ में राजा वानी बसोड़ द्वारा बनाये गये किले के अवशेष है|
- दमोह के गिरिदर्शन (जैबरा) के निकट जंगल में फारेस्ट रेस्ट हाउस और वाच टावर है|
- सिंगरगढ़ में गोंड नरेश दलपत शाह और रानी दुर्गावती ने निवास किया था। यहाँ पर गुलाब युक्त झील है|
- दमोह जिले में भैसा के समीप प्रसिद्ध निदान कुण्ड जलप्रपात है, जहाँ पर सदभावना सभा की स्थापना की गयी थी|
- रानी दुर्गावती अभ्यारण में नपारा पिकनिक स्पॉट बनाया गया है|
- दमोह डिस्ट्रिक्ट में नोहटा गोरिया नदी के तट पर है जहाँ पर नालेश्वर महादेव का प्रसिद्ध स्थान है जिसे कल्चुरी शासक वर्मा द्वारा बनवाया गया था| नोहटा चंदेलो की भी राजधानी रहा था|
- हटटा का किला दमेाह जिले में है रानी दमयंती के नाम पर इसका नाम दमोह रखा गया था तथा बांदकपुर में जोगेश्वरी मंदिर भी दमोह जिले में है|
- सर्वाधिक बालश्रम दमोह में है|
- दमोह जिला पीतल समान के लिये प्रसिद्ध है|
- माधव संप्रे इसी जिले मे जन्मे थे|
- राष्ट्रीय राजमार्ग NH – 12ए गुजरता दमोह डिस्ट्रिक्ट से गुजरता है|
- प्रमुख नदी : ब्योरमा दमोह जिले में में बहती है|
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