पल्लवन किसे कहते है परिभाषा, प्रमुख विशेषतायें, नियम तथा उपयोगिता

पल्लवन (Pallavan) किसे कहते है? परिभाषा, प्रमुख विशेषतायें, उदाहरण, नियम तथा उपयोगिता

1. पल्लवन किसे कहते है? –

पल्लवन की परिभाषा:- ‘पल्लवन’ (Amplification) का अर्थ है, विशदीकरण ; अर्थात दिए गए किसी ‘सूत्रवाक्य’ या ‘विचार’ को विस्तार के साथ व्याख्या करना, पल्लवन कहलाता है।

1.1 भाव पल्लवन का अर्थ

सूत्रवाक्य से तात्पर्य है कि थोड़े में बहुत कहना तथा पल्लवन का अर्थ चुनना/ चयन करना अर्थात ऐसे वाक्यों को चयन करना जिनमें थोड़े शब्दों में एक बड़ा विचार, बड़ा दर्शन निहित हो इन विचारों को, भावों को समझना व स्पष्ट करना पल्लवन कहलाता है। अतः सूत्रवाक्य वाक्य गागर में सागर का भाव रखते हैं इन भावों को सरल वाक्यों के द्वारा व्याख्या करके उसमें छिपे हुए गूढ़ार्थ दर्शन, रहस्य, उपदेश को समझा कर स्पष्ट करना ही भाव पल्लवन है।

जिस सूत्र वाक्य का पल्लवन किया जाता है वह ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक सामाजिक या किसी महापुरुष के कथन या कहावत भी हो सकते है-

पल्लवन किसे कहते है
पल्लवन किसे कहते है?

2. पल्लवन के उदाहरण

नर और नारी जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं।

प्रेम स्वप्न हो तो संध्या जागरण है।

हिंसा बुरी चीज है और दासता उससे भी बुरी चीज है |

सोने से अंग भरता है मन नहीं भरता। सोने से रंग खिलता है दिल नहीं खिलता।

पढ़ना एक कला है।

मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे।

“सत्यमेव जयते”

“जहाँ सुमति तहँ सम्पति नाना, जहाँ कुमति तहँ विपत्ति नाना”

परहित सरिस धरम नहीं भाई | पर पीड़ा सम नहीं अधमाई ||

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी। आंचल में है दूध और आँखों में है पानी।।

स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

पल्लवन से आप क्या समझते है – सूत्रवाक्य

आपने उपर्युक्त लिखे वाक्यों को पढ़ा ये वाक्य छोटे अवश्य है लेकिन इनके अंदर एक गहरा भाव छिपा है, इसलिए ये ‘सूत्रवाक्य’ कहलाते है| इन सूत्रवाक्यों का विश्लेषण करना होगा ताकि हमें ये पूरा सन्देश समझ में आये।

किसी भी सूत्रवाक्य का विश्लेषण करने से पहले ये आवश्यक कि हमें पूरा ज्ञान हो अर्थात उनका पूरा अर्थ हमें मालूम हो| जैसे – “स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” उक्ति का भाव पल्लवन करने से पहले हमें ये मालूम होना चाहिए कि ये वाक्य कहाँ और किसने कहा और किस सन्दर्भ में कहा और इसकी भूमिका क्या है?

इस युक्ति का पल्लवन करते समय यह भी बताना चाहिए कि स्वाधीन होने का महत्त्व क्या है? हम अपने अनुभव से यह भी बता सकते की स्वाधीन होना किसी की दया पर आश्रित रहना नहीं है, बल्कि यह हमारा अधिकार है।

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2.1 पल्लवन की विधि-

पल्लवन एक अनुच्छेद में किया जाता है एक अनुच्छेद 100-125 शब्दों का होता है। पल्लवन करते समय किसी भी विधि का प्रयोग किया जाए अर्थात कोई भी तरीका अपनाया जाए किंतु उसका उद्देश्य वही रहना चाहिए जो लेखक का उद्देश्य है उससे भटकना नहीं चाहिए।

पल्लवन में संदर्भ व प्रसंग का कोई स्थान नहीं होता सीधे व्याख्या की जाती है व्याख्या करते समय निम्न विधि अपनाई जा सकती है-

3. पल्लवन की विशेषताएँ

1.वाक्य सरल और छोटे हो

2. वाक्य स्पष्ट होगा दो अर्थी ना हो।

3. व्याख्या समझा कर भी की जा सकती है और उदाहरण दृष्टांत कहानी किस्से आदि के द्वारा भी सूत्र वाक्य को स्पष्ट किया जा सकता है|

4. तुलनात्मक अध्ययन द्वारा भी पल्लवन किया जा सकता है कोई सा भी तरीका अपनाया जाए लेकिन लेखक के विचारों को प्रस्तुत करना ही उद्देश्य होना चाहिए|

5. पल्लवन व निबंध में मूलभूत अंतर यह है- यह ध्यान रखना चाहिए कि दिए गए सूत्र वाक्य में  निहित भाव को स्पष्ट करना यदि पल्लवन है तो उसमें दिए गए शब्दों का विश्लेषण करना निबंध कहलायेगा| यदि पल्लवन मछली की आंख है तो निबंध पूरी मछली है|

जैसे:-  साहित्य का आधार जीवन है इसका पल्लवन करते समय यदि साहित्य की परिभाषा प्रकार बताएंगे तो वह निबंध कहलायेगा और यदि आधार में जो भाव छिपा है उसे प्रस्तुत करेंगे तो वह पल्लवन कहलायेगा|

6. पल्लवन सामान्यतः अन्य पुरुष में लिखा जाता है।

7. वर्तमान काल व भविष्य काल का प्रयोग पल्लवन में नही किया जाना चाहिए।

4. पल्लवन के नियम

  • व्यास शैली में होना चाहिए।
  • पल्लवन करने से पहले दिए गए वाक्य या युक्ति को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए।
  • सरल शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।

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  • अन्य पुरुष में लिखना चाहिए।
  • पल्लवन की रचना करते समय यह ध्यान रहे कि पल्लवन के भाव व भाषा की अभिव्यक्ति पूरी तरह स्पष्ट हो, मौलिकता और सरलता भी होना चाहिए।
  • पल्लवन में लघुता तथा भाषा अत्यंत सरल होनी चाहिए।
  • अनावश्यक बातों का विस्तार नही करना चाहिए।

5. पल्लवन की उपयोगिता/महत्त्व – Pallavan ka Mahatva

आधुनिक युग में पल्लवन एक विधा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी निजी शैली होती है। उसके भाषा, भाव और विचार उसके व्यक्तित्व के अनुरूप होते है। व्यक्तित्व के अनुरूप ही वह अपनी भाषा और साहित्य के अन्य उपकरणों के स्वरूप का निर्धारण करता है।

हिंदी के कई महान साहित्यकार ऐसे हुए है, जो छोटे-छोटे वाक्यों को गंभीर भाव और विचारों में निहित कर देते है। “स्वाधीनता हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है”, “मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे”, “वीर हृदय युद्व का नाम सुनकर ही नाचने लगता है” आदि ऐसे वाक्य है। इन वाक्यों को समझने के लिए पल्लवन की आवश्यकता होती है। पल्लवन या विशदीकरण के द्वारा ऐसे वाक्यों को समझा जा सकता है।

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हेल्लो, भाव पल्लवन किसे कहते है? आप को हमारी ये पोस्ट कैसी लगी। अगर आपका कोई सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं, और आप उपर्युक्त लिखे किसी सूत्रवाक्य का या अन्य किस उदाहरण का पल्लवन करके हमें भेजना चाहते है तो आप हमें edunama.com@gmail.com पर भेज सकते है. या आप अपने विचार Comment Box में लिख सकते है। इसके आलावा आपको भाव पल्लवन, संक्षेपण अथवा निबंध आदि पर Pdf चाहिए तब भी आप हमें E-mail कर सकते है हमें आपकी हेल्प करके बड़ी ख़ुशी होगी। धन्यवाद

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