वृत्यानुप्रास अलंकार किसे कहते है? परिभाषा और 15 उदाहरण

वृत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा, उदाहरण – Vratyanupras Alanakar

वृत्यानुप्रास अलंकार की परिभाषा –

जिस अलंकार में एक ही (वर्ण) व्यंजन की अनेक बार आवृत्ति होती है उसे Vratyanupras Alankar कहते है|

वृत्यानुप्रास अलंकार अनुप्रास अलंकार का भेद है| अनुप्रास अलंकार 5 प्रकार के होते है|

वृत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण

उदाहरण.-1. मुद्दत हीपत मंदिर आए

             सेवक चिव सुमंत बुलाए

Explain :- जैसा की आपने इस Vratyanupras Alankar के Example के माध्यम से देखा की ‘‘ तथा ‘‘ वर्ण व्यंजन एक से अनेक बार अर्थात 3 बार आवृत्ति हुई है|

उदा.-2. घनन घनन घिघिर आए बदरा

            घोर कारी छाई टा

Explain :- वृत्यनुप्रास अलंकार के इस उदाहरण में ‘घ‘ तथा ‘‘ वर्ण व्यंजन की अनेक बार आवृत्ति हुई है|

 उदा.-3 से महे गने दिने सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।

Explain :- ‘श’ वर्ण व्यंजन की 3-4 बार आवृत्ति |

 उदा.- 4. चांदनी मेली चारुचंद्र सुंदर है|

Explain :- इस वृत्यानुप्रास अलंकार के इस Example में ‘च’ वर्ण व्यंजन की 4 बार आवृत्ति |

 उदा.-5. खिड़कियों के ड़कने से ड़कता है ड़क सिंह

उदा.-6. व्य भागों में यानक भावना रना नहीं 

उदा.-7. मेरी मीमें जो गीत ना होते

उदा.-8. लावती लावती लिंदजा 

उदा.-9. रन चोटकत कोट 

            अरि उपसिर वज्जत| 

उदा.-10. त्य नेह सीसुसागर

उदा.-11. निपट नीरव न्द-निकेत में 

उदा.-12. ध्वनिमयी  करके गिरि-कंदरा

            लित-कानन-केली-निकुंज को| 

उदा.-13. सो सुसुजस सुलभ मोंहि स्वामी| 

उदा.-14. पने सुनहले मन भाये।

छेकानुप्रास और वृत्यनुप्रास अलंकार में अंतर –

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