Yamak Alankar ki Paribhasha Udaharan Sahit
यमक अलंकार किसे कहते है?
परिभाषा :– एक शब्द एक से अधिक बार आवे और हर बार अलग-अलग अर्थ निकले, वहाँ यमक अलंकार होता है।
“वहै शब्द पुनि-पुनि परै, अर्थ भिन्न ही भिन्न”
अर्थात जब कविता में एक शब्द दो या दो से अधिक बार आये, और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है.
उदाहरण –
जैसे- कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय।।
उपर्युक्त लिखे उदाहरण में कनक शब्द दो बार आया है और दोनों ही बार उसका अर्थ भिन्न है एक कनक का अर्थ – सोना, तथा दूसरे कनक का अर्थ – धतूरा है। इस प्रकार एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है।
जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में एक ही वर्ण बार-बार आता है उसी प्रकार यमक अलंकार में भी एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है और इस प्रकार विशिष्ट शब्दों के प्रयोग के कारण काव्य की शोभा बढ़ जाती है।
यमक अलंकार के 20 उदाहरण
यमक अलंकार के उदाहरण | व्याख्या |
---|---|
1. सपना सपना समझकर भूल न जाना | यहाँ एक सपना शब्द का अर्थ – किसी का नाम, तथा दूसरे सपना शब्द का अर्थ – रात में आने वाला स्वप्न |
2. तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है। | तीन बेर – तीन बेर के दाने, तीन बेर – तीन बार |
3. माला फेरत जुग भया, मिटा ना मनका फेर, कर का मनका डारि के मन का मनका फेर।। | मनका – माला का दाना, मन का – हृदय का |
4. कहै कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराई लानी। | बेनी – कवि, बेनी – चोटी |
5. रति-रति शोभा सब रति के सरीर की | रति-रति – जरा सी, रति – कामदेव की पत्नी |
6. भजन कहयौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार | भज्यौ – भजन किया, भज्यौ – भाग किया |
7. सजना है मुझे सजना के लिए | एक सजना का अर्थ – श्रृंगार करना, दूसरे सजना का अर्थ – प्रियतम, प्रेमी, पति |
8. दीरघ साँस न लेइ दुख, सुख साँई मति भूल, दई दई क्यों करत हैं, दई दई सु कबूल।। | |
9. काली घटा का घमंड घटा | घटा -‘वर्षा की घटा’, घटा – ‘कम हुआ’ |
10. जेते तुम तारे, तेते नभ में न तारे | |
11. हरि हरि रूप दियो नारद को | |
12. जिसकी समानता किसी ने कभी पायी नहीं, पायी के नहीं अब वे ही लाल माई के। | |
13. सारंग ले सारंग चली, सारंग पूगो आय. सारंग ले सारंग धरयौ, सारंग निकस्यो आय| | | इस उदाहरण में सारंग शब्द एक है पर हर बार इसका अर्थ भिन्न है. यहाँ सारंग के अर्थ – घड़ा, सुंदरी, वर्षा, वस्त्र, सरोवर है. |
14. आंख लगती है तब आंख लगती ही नहीं. | यहाँ एक बार ‘आंख लगती‘ है का अर्थ प्यार होना, जबकि दूसरी बार ‘आंख लगती ही नहीं’ का अर्थ – नींद न आना है. |
15. ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी, ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है। |
Yamak Alankar ke 10 Udaharan
सबकी बेगम बेगम है
उधो जोग जोग हमने
तोपे बौरा उर्वशी सुन राधिका के सुजान, तू मोहन के उर्वशी, हवे उरवशी समान।।
लोक में फैला सूर्यलोक
सूर सूर तुलसी शशि
तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा है सालों से सालों से।
कबिरा सोई पीर है, जे जाने पर पीर। जे पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर।।
या मुरलीधर की अधरार-धरी अधरान धरौंगी।
खग कुल-कुल-कुल सा बोल रहा है।
पास ही रे, हीरे की खान। उसे खोजता कहाँ नादान।।
पच्छी पर छीने एसे परे पर छीने बीर, तेरी बरछी ने बर छीने है खलन के।.
जरूर पढ़ें: यमक और श्लेष अलंकार में अंतर
आपने ऊपर लिखे सभी यमक अलंकार के Example को और समझा होगा, यही की यमक अलंकार को पहचानना कितना आसान है| जब एक ही शब्द एक से अधिक बार आता है और उसका अर्थ हर बार अलग होता है तो वहां यमक अलंकार होता है |
Yamak Alankar दो प्रकार के होते है-
I. अभंग पद यमक
II. सभंग पद यमक
आप यह अलंकार भी पढ़ सकते है-
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